चैन की नींद सो रही भरथना नगर पालिका, मुसाफिर परेशान
नगर में नहीं बनाये गए रेन बसेरे ना ही अलाव की है कोई व्यवस्था, खुले आसमान के नीचे रात काटने को मजबूर मुसाफिर
निष्पक्ष जन अवलोकन ।
नितिन दीक्षित।
इटावा। जनपद में ठिठुरन भरी सर्दी की शुरुआत हो चुकी है दिसम्बर माह के 12 दिन बीत जाने के बाद भी भरथना कस्बे में रेन बसेरे का कोई इंतजाम नहीं किया गया है, जिसके चलते यात्रियों, मुसाफिरों को रात भर ठिठुर कर सुबह होने का इंतजार करना पड़ रहा है, एक ओर जहाँ सर्दी ने अपना सितम ढाना शुरू कर दिया है तो वही दूसरी ओर नगर पालिका की कमजोर व्यवस्था के चलते मुसाफिरों को खुले आसमान के नीचे ठिठुरना पड़ रहा है , लगभग आधा दिसम्बर बीतने को है कस्बे में नगर पालिका की तरफ से रेन बसेरे तथा अलाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई है ।
भरथना रेलवे स्टेशन तथा बस स्टैंड के समीप आवागमन करने वाले यात्री कड़ाके की ठंड की वजह से रेन बसेरे तथा अलाव ढूढ़ते हुए नजर आते है, लेकिन पालिका प्रशासन की लापरवाही के चलते मुसाफिर मायूस होकर खुले आसमान के नीचे ठिठुरकर रात गुजारने के लिए मजबूर है, कडाके की ठंड ने लोगों की मुसीबतों को बड़ा दिया है साथ ही आवगामन करने वाले यात्री आये दिन रात के अंधेरे में रेन बसेरे की तलाश में भटकते रहते है, किन्तु नगर में रेन बसेरे , अलाव की व्यवस्था कोषों दूर नजर आ रही है । वैसे तो दीपावली से पूर्व कुछ सभासद पालिका की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाते आ रहे थे लेकिन दीपावली के पर्व पर पालिका की मिठाई खाने के बाद विरोध करने वाले सभासद भी चुप्पी साधे हुए है ।
बीते बुधवार की देर रात 12 बजे जब मीडिया टीम द्वारा नगर का हाल जानने की कोशिश की गई तो उनके कैमरे में जो भी कैद हुआ उसे देख कर हर कोई हैरान रह गया, रात के लगभग 12 बजे सर्द हवाओं के साथ सूनसान सड़कें उन सडक के किनारे रात गुजारने को मजबूर मुसाफिर खुले आसमान के नीचे बैठे हुए नजर आये, कही-कही देर रात यात्रा करके अपने घर जा रहे मुसाफिर सड़क किनारे खुले आसमान के नीचे लेटे दिखाई पड़े ।
भरथना टिकट घर के पास सर्दी में ठिठुर रहे कुदरैल निवासी सोनू ने बताया कि मैं अवध एक्सप्रेस से आया हूँ कुदरैल जा रहा हूँ लेकिन यहाँ से घर जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिल रहा है, रात के करीब 12 बज गए है और मैं खुले आसमान के नीचे बैठकर रात गुजार रहे है. अगर यहाँ भरथना में कहीं अलाव या रेन बसेरे की व्यवस्था होती तो आज सर्दी में ठिठुरना नहीं पड़ता.
सूरत से अवध एक्सप्रेस द्वारा भरथना पहुंचे अमृत ने बताया कि मुझे कुदरेल जाना है लेकिन घर तक पहुंचने के लिए कोई साधन नहीं है, साथ ही भरथना कस्बे में रेन बसेरे के भी इंतजाम नहीं है जिसके चलते हम लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजराने को मजबूर है, यदि भरथना में रेन बसेरे की व्यवस्था होती तो हम लोग सर्दी में इधर उधर ठिठुरकर रात ना गुजारते ।
सड़क किनारे खुले आसमान के नीचे लेटे मुनि नामक एक वृद्ध ने बातचीत के दौरान बताया कि वह अपने घर जाने के इंतजार में रात करीब 12 बजे खुले आसमान के नीचे लेटे है, साथ ही रेन बसेरा या अलाव की कोई व्यवस्था न होने की वजह से खुले आसमान के नीचे ठिठुरने को मजबूर हूं ।
नगर में रेन बसेरे की व्यवस्था ना होने के कारण मुसाफिरों की दयनीय स्थिति कही ना कही पालिका प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है, एक ओर जहां पालिका प्रशासन सर्दी के समय अस्थाई रेन बसेरे का इंजाम करती थी तो वहीं आधा दिसम्बर बीत जाने के बाद भी नगर में एक भी रेन बसेरे ना होना पालिका प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है ।