पंच ज्ञानेंद्रिय की पवित्रता का पर्व है बसंत पंचमी : रूप
निष्पक्ष जन अवलोकन
निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रशांत जैन। बिल्सी(बदायूँ)/ तहसील क्षेत्र के यज्ञ तीर्थ गुधनी में स्थित प्रज्ञा यज्ञ मंदिर मेंआर्य समाज के तत्वाधान में बसंत पंचमी का पर्व मनाया गया ! इस अवसर पर विशेष मंत्रों से यज्ञ किया गया ! आर्य समाज के वैदिक विद्वान आचार्य संजीव रूप ने बसंत पंचमी का महत्व बताते हुए कहा "ज्ञान और विद्या का पर्व है बसंत पंचमी ! सुरों की साधना का पर्व है बसंत पंचमी,पांच ज्ञानेंद्रिय को पवित्र बनाए रखने का पर्व है बसंत पंचमी ? आचार्य रूप ने कहा "हमारे दुखों का कारण आज्ञान ही होता है, अज्ञान के कारण ही समाज में पाखंड बढ़ता है अतः हमें निरंतर ज्ञानवान होने के लिए प्रयत्न करना चाहिए ! उन्होंने कहा उसी के जीवन में संगीत होता है जो सुरों की साधना करता है अर्थात जिसे बोलना आता है ! जो झूठ बोलता है कड़वा बोलता है व्यर्थ का बोलता है वह सरस्वती का पुजारी नहीं हो सकता ! वैदिक विदुषी कुमारी तृप्ति शास्त्री ने यज्ञ करते हुए कहा "सरस्वती माता के सफेद परिधान बताते हैं कि हम बेदाग स्वच्छ जीवन वाले हो , हमारा चरित्र पवित्र हो ! मां के हाथ में लगी माला रहती है जो भी काम करो पूरे मन से करो ! पंडित प्रश्रय आर्य ने भजन सुनाया " हे ममतामई माता हे करुणामई माता ...जो सबको बहुत पसंद आया ! इस अवसर पर राकेश आर्य सुखवीर सिंह श्रीमती संतोष कुमारी श्रीमती सूरजवती देवी, श्रीमती गुड्डू देवी, श्रीमती मिथिलेश रानी, कुमारी कौशिकी रानी, कुमारी मोना रानी ' कुमारी तानिया रानी आदि मौजूद रहे