द्वेष भाव उर से मिटाते हुए सबके ही होली में तो प्रेम की बयार बहने लगी:-कवि विष्णु असावा
निष्पक्ष जन अवलोकन

निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रशांत जैन। बदायूं:- अखिल विश्व गायत्री परिवार एवं उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य सेवा समिति बदायूं के संयुक्त तत्वावधान में होली मिलन समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें गायत्री परिवार के लोगों ने साहित्यकारों एवं परिवार के लोगों से फूलों की होली खेली तथा एक दूसरे के गले मिलकर बधाई दी ।। कार्यक्रम का शुभारंभ पंडित सचिन देव की सरस्वती वंदना एवं गायत्री मंत्र के साथ हुई कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सुरेंद्रनाथ शर्मा जी ने गायत्री परिवार के सदस्यों ने कवियों का माल्यार्पण कर प्रतीक चिन्ह देकर एवं पूज्य गुरुदेव का साहित्य संग्रह प्रदान कर सम्मानित किया ।। कार्यक्रम में पधारे कवि सुनील शर्मा समर्थ ने पड़ा....... पिता अपनी सभी खुशियां सुतों पर बार देता है। स्वयं रहकर अंधेरों में उन्हें उजियार देता है। पिता के नाम से ही पुत्र को पहचान मिलती है। पिता ही पुत्र को सुंदर नया संसार देता है। कवि ललतेश कुमार ललित ने होली गीत पड़ा...... प्रेम रंगों का त्योहार होली है, नई उमंगो का त्योहार होली है, आओ मिलकर मनालें होली को, नयी तरंगों का त्योहार होली है। बिल्सी से पधारे ओजस्वी जौहरी सरल ने पड़ा.......... स्वप्न फिर इक बार बुने हैं हमने पावन होली में यत्न कई हर बार किये हैं हमने पावन होली में। प्रीत मेरी स्वीकृत कर लेना अब कि ह्रदय रंग लेना प्रेम के रंग इस बार चुने हैं हमने पावन होली में। कवि शैलेंद्र मिश्रा देव ने पड़ा......... बदजुबानी से तो बेहतर बेजुबानी है, यह नसीहत तो बुजुर्गों की पुरानी है। ज़ख्म भर जाते सभी वो खंजरों वाले, शब्द घावों की अलग अपनी कहानी है। बिल्सी से पधारे कवि विष्णु असावा ने पड़ा......... द्वेष भाव उर से मिटाते हुए सबके ही होली में तो प्रेम की बयार बहने लगी ।। युवा कवि अमन मयंक शर्मा ने पड़ा............ ऐसी कुछ आन बान हमारे वतन की है। आकाश तक उड़ान हमारे वतन की है। हिंदी हो संस्कृत हो उर्दू हो या हो अन्य शीरीं हर इक जुबान हमारे वतन की है ।। कवि अमित वर्मा अम्बर ने पड़ा.......... शब्दों को अंगार बनाना पड़ता है फूलों को भी खार बनाना पड़ता है जब आती है आंच काव्य के दामन पर कविता को हथियार बनाना पड़ता है। युवा कवि विवेक यादव अज्ञानी ने पड़ा....... मिलेंगे अब चलो फिर से पुराने यार होली में बहेगी प्रेम की फिर से वही रसधार होली में रहे जो अब तलक पाले समन्दर नफरतों का हम मिटेंगे अब कहीं जाकर दिलों के खार होली में ।। कार्यक्रम के अंत में सभी सदस्य एवं साहित्यकारों ने पूज्य गुरुदेव एवं गुरु माता की समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित कर आशीर्वाद लिया कार्यक्रम का सफल संचालन शैलेंद्र मिश्रा देव ने किया । कार्यक्रम में नरेंद्र पाल शर्मा, प्रमोद पाठक, अचिन मासूम, मनीष प्रेम, प्रभाकर सक्सेना, मनोज मिश्रा, जगदंबा प्रसाद, सविता मालपाणी, रजनी मिश्रा, सीमा गुप्ता, राजेश्वरी, विवेक यादव आज्ञानी, अमित वर्मा अंबर, आदि उपस्थित रहे अंत में कार्यक्रम अध्यक्ष सुरेंद्रनाथ शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया ।।