जिलाधिकारी के आदेशों को दरकिनार कर जिला समाज कल्याण अधिकारी कर रहे जांच में मनमानी

जिलाधिकारी के आदेशों को दरकिनार कर जिला समाज कल्याण अधिकारी कर रहे जांच में मनमानी

जिलाधिकारी के आदेशों को दरकिनार कर जिला समाज कल्याण अधिकारी कर रहे जांच में मनमानी

निष्पक्ष जन अवलोकन 

सतीश कुमार सिंह 

7 माह में जिला समाज कल्याण अधिकारी 50 किलोमीटर की दूरी तय करके नहीं कर सके जांच

सीतापुर जिला अधिकारी सीतापुर के निर्देश पर विकासखंड सकरन की ग्राम पंचायत सांडा में हुए भ्रष्टाचार की जांच करने का आदेश लगभग 7 माह पूर्व दिया गया था जिला समाज कल्याण अधिकारी को मानवाधिकार सहायता संघ अंतरराष्ट्रीय जिला अध्यक्ष सीतापुर राजकुमार मिश्रा द्वारा जिला अधिकारी को शपथ पत्र देकर विकासखंड सकरन की ग्राम पंचायत सांडा में अंत्येष्टि स्थल नाला निर्माण चक मार्ग नल रिबोरआदि कार्यों की उप जिला अधिकारी विश्ववा द्वारा कराई गई जांच में दोषी पाए जाने पर भी कार्यवाही न किए जाने के संबंध में शिकायत की गई थी इस पर जिले के तेजतर्रार ईमानदार निर्भीक निडर जिला अधिकारी ने तत्काल जिला समाज कल्याण अधिकारी सीतापुर की अध्यक्षता में समिति का गठन कर जांच रिपोर्ट एक माह में देने का निर्देश दिया था लेकिन जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा जांच आज तक प्रारंभ ही नहीं की जा सकी बार-बार जिला समाज कल्याण अधिकारी से शिकायतकर्ता के मिलने पर भी जांच एक कदम आगे नहीबढसकी की सूत्र बताते हैं कि विकासखंड सकरन में तैनात पूर्व सचिव संतलाल पटेल तकनीकी सहायक प्रदीप चौधरी ग्राम प्रधान सांडा वाजेईआर एस सुभाष वर्मा वा जायसवाल ट्रेडर्स की मिली भगत से लाखों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया था जो की जांच समिति द्वारा जांच में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया था जांच समिति द्वारा स्पष्ट रूप से बताया गया था कि जो प्रपत्र उपलब्ध कराए गए उसे पर बी वह मां पुस्तिका पर किसी भी तकनीकी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे नाला निर्माण की गुणवत्ता मानक विहीन पाई गई थी चकमार्ग मौके पर नहीं पाया गया था टेंडर प्रक्रिया में ढेरो खामियां होने के बावजूद भी मानक विहीन घटिया निर्माण सामग्री से तैयार किया गया श्मशान स्थल आज दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है लेकिन जिम्मेदारों के गैर जिम्मेदारी के चलते आज सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आम जनमानस तक नहीं पहुंच पा रहा है और ना ही शासन प्रशासन सरकार की मनसा के अनुकूल कुछ अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार्यों को संरक्षण देकर उसपर कलंक लगाने का कार्य किया जा रहा है जो की इस प्रकरण में स्पष्ट है कि किस प्रकार दोषियों को बचाने के लिए उच्च अधिकारी संरक्षण देकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं जो की सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर जोरदार तमाचा है आम जनमानस जिलाधिकारी की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहा है कि न्याय मिलेगा भी या नहीं या गरीबों के लिए चलाई गई जनकल्याणकारी योजनाओं का धन हड़प करने वालों के खिलाफ कार्यवाही होगी या नहीं या आने वाला समय बताएगा