ऑनलाइन उपस्थिति का विरोध कहीं धूमिल ना कर दे शिक्षकों की छवि

ऑनलाइन उपस्थिति का विरोध कहीं धूमिल ना कर दे शिक्षकों की छवि

ऑनलाइन उपस्थिति का विरोध कहीं धूमिल ना कर दे शिक्षकों की छवि

निष्पक्ष जन अवलोकन 

सतीश कुमार सिंह 

क्या गरीब छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं कर रहे भविष्यनिर्माता शिक्षक?

शिक्षकों द्वारा डिजिटलाइजेशन का विरोध कहीं न करवा दी इनकी फजीहत। 

सांडा (सीतापुर) विकास क्षेत्र सकरन अंतर्गत परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों ने विद्यालय समय के उपरांत बीआरसी सकरन में उपस्थित होकर ऑनलाइन उपस्थिति का विरोध किया। शिक्षकों की मांग है कि जब तक शिक्षकों की मूलभूत ज़रूरतें और मांगे नहीं पूरी हो जाती हैं तब तक शिक्षक ऑनलाइन उपस्थिति का बहिष्कार करेंगे। शिक्षकों की लड़ाई सरकार से है न कि मासूम छात्रों से ,सच तो कड़वा होता है पर कहना ही पड़ेगा क्या सरकार इस विषय की भी जांच कराएगी की शिक्षकों के पाल्य आखिर कहां अध्धयन कर रहे,कितने अध्यापकों के बच्चे परिषदीय विद्यालयों पढ़ते हैं।जब आपके बच्चे प्राइवेट संस्थाओं में अध्ययनरत हैं तो गरीबों के बच्चों के साथ क्यों किया जा रहा खिलवाड़।

ऑनलाइन उपस्थिति से अध्यापकों को आखिर किस लिए है दिक्कत ,आज ये भी हवा फैल रही कि अकर्मण्यता का परिचायक दिख रहा ये विरोध प्रदर्शन ,यदि कहीं इन्हीं के साथ बच्चों के अभिभावक व छात्र भी आ गए सरकार के कदम के समर्थन में तो परिणाम भी घातक हो सकते।

सरकार के इस महत्वपूर कदम का समर्थन करते हुए भारतीय किसान यूनियन के ब्लॉक सकरन अध्यक्ष सुशील राज ने अध्यापकों के इस विरोध का विरोध करते हुए बताया कि आज के गुरुजन ही गरीब बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की सोंच नहीं रखते,परिषदीय विद्यालयों में अधिकतर गरीबों किसानों के बच्चे ही पढ़ते हैं अध्यापकों को इन मासूमों के भविष्य के लिए सरकार के कदम का साथ देना चाहिए।