विकास कार्यों में झोल ग्राम पंचायत अधिकारी पर गिरी गाज

विकास कार्यों में झोल ग्राम पंचायत अधिकारी पर गिरी गाज

विकास कार्यों में झोल ग्राम पंचायत अधिकारी पर गिरी गाज

निष्पक्ष जन अवलोकन 

सतीश कुमार सिंह 

*> सहायक विकास अधिकारी की जांच में खुलासा।*

*> अभिलेखों में हेर फेर से की गई करोड़ों की हड़प।*

सकरन(सीतापुर):

सरकारी विभागों के असंख्य चक्कर काटने व तमाम शिकायतें करने के बाद आखिरकार विकास खण्ड सकरन में बैठे आला कमान के अधिकारियों की आंखों से पर्दा हटा, इसके साथ ही शुरू हुआ कार्यवाहियों का एक ऐसा दौर,जिसमें प्रथम दृष्टया जांच में ही भ्रष्टाचार ही गंगा बहती नजर आई। कार्यवाही के इस प्रथम दौर ने न सिर्फ भ्रष्टाचार उजागर किया अपितु ग्राम विकास अधिकारी सुभाष दीक्षित को अपना बोरिया बिस्तरा बांधने को भी मजबूर कर दिया। दरअसल पूरा प्रकरण ब्लॉक सकरन का है,जहां ग्राम पंचायत सचिव के पद पर तैनात सुभाष दीक्षित को विकास कार्यों में अनियमितता तथा पैसे के गबन के आरोपों के चलते कार्यवाही कर निलंबित कर दिया गया। ऐसा इस लिए हुआ कि विगत कई महीनों से सचिव महोदय के खिलाफ संबंधित ग्राम पंचायतों में सरकारी धन के गबन व विकास कार्यों में अनियमितता की लगभग 1 सैकड़ा से अधिक शिकायतें अलग अलग विभागों में की गई थीं, जिसमें एक अरसे बाद कार्यवाही सुनिश्चित हो पाई है। आलम यह हुआ कि भ्रष्टाचार की इस लंबी जांच के दलदल में कुछ उच्चाधिकारियों ने खुद की शाख को दांव पर लगता देख आनन फानन में जांच सुनिश्चित कर सचिव महोदय को निलंबन के माध्यम से बाहर का रास्ता दिखा दिया। यहां भ्रष्टाचार की प्रथम दृष्टया जांच में पाया गया कि सचिव महोदय ने ग्राम ओडाझार के विभिन्न विकास कार्यों जैसे- पंचायत भवन निर्माण,हैंडपंप कम सबमर्सिबल स्थापना, नाली/खड़ंजा/चकबंध तथा इंटरलॉकिंग आदि में व्यापक सेंधमारी कर सरकारी धन का एक बड़ा हिस्सा अपने चहेतों में बांट दिया। दरअसल विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की जांच सहायक विकास अधिकारी(आई एस बी) को सौंपी गई थी,जिसमें उन्होंने मैनिपुलेटेड बिल डेट, ईंट की सप्लाई कार्यदिवस के 9 दिन बाद होना,स्टॉक रजिस्टर न होना ,सामग्री आपूर्ति का कोई भी चालान उपलब्ध न होना, बिल तकनीकी सहायक द्वारा प्रमाणित न होना,मनरेगा अंश के बिल मौजूद न होना आदि मुद्दों को दृष्टिगत रखते हुए कार्यवाही की। जांच रिपोर्ट के माध्यम से उन्होंने यह भी बताया कि ग्राम पंचायत ओढ़ाझार में पंचायत भवन निर्माण कार्य का आदेश तो 12/04/2023 को जारी किया गया परन्तु सचिव महोदय ने सामग्री की खरीद 16/03/2023 में ही कर ली थी। यदि समस्त प्रकार के विकास कार्यों की बात करें तो अभी तक अलग-अलग बिल के माध्यम से यहां लगभग 1 करोड़ रुपए के आस- पास की दानराशि का बंदरबांट किया गया है, इसके साथ ही इस धन के बंदरबांट में कौन लोग शामिल हैं, यह किसी को नहीं मालूम। वहीं मामले को लेकर उच्चाधिकारियों के पास कोई भी जवाब नहीं है। यूं तो ब्लॉक सकरन में सरकारी धन के गबन का यह मामला नया नहीं है, इससे पहले भी ऐसे कई मामले उजागर हुए,जिनमें कार्यवाही तो हुई परन्तु महीने दो महीने बाद यहां पुनः वही भ्रष्ट अधिकारी विकास कार्यों की बागडोर थामे नजर आ जाता है। अब ऐसे में सवाल यह बनता है कि आखिर भ्रष्टाचार में शामिल इन लोगों के संरक्षण में किसका हांथ? आखिर ऐसे और कितने लोग हैं,जो ग्रामीण विकास कार्यों में ग्रहण लगा रहे हैं। सवाल यह भी है कि आखिर इतनी शिकायतों के बावजूद भी कार्यवाही सुस्त क्यों?