खतरे में सम्मान निधि, पराली जलाने वालों को नहीं मिलेगा लाभ जुर्माने के साथ अदालती कार्यवाही का भी करना होगा सामना

खतरे में सम्मान निधि, पराली जलाने वालों को नहीं मिलेगा लाभ जुर्माने के साथ अदालती कार्यवाही का भी करना होगा सामना

खतरे में सम्मान निधि, पराली जलाने वालों को नहीं मिलेगा लाभ जुर्माने के साथ अदालती कार्यवाही का भी करना होगा सामना

निष्पक्ष जन अवलोकन 

सतीश कुमार सिंह 

सीतापुर जिलाधिकारी अभिषेक आनंद की अध्यक्षता रबी उत्पादकता गोष्ठी का आयोजन कलेक्ट्रेट सभागार में किया गया, जिसमें कृषि तथा उद्यान, पशुपालन, गन्ना, सिंचाई, नहर विद्युत, मत्स्य, सहकारिता आदि विभागों द्वारा आगामी रबी सीजन में कृषिगत उत्पादन को बढ़ाए जाने हेतु अपने विभाग की तैयारियों की जानकारी प्रस्तुत की गयी। जिलाधिकारी महोदय द्वारा उपस्थित सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि आगामी सत्र हेतु कृषि निवेशों की आवश्यकता का आँकलन करते हुए कृषि निवेशों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाये। उन्होंने किसानों से फसल अवशेष न जलाए जाने की अपील करते हुए कहा कि फसल अवशेषों से कम्पोस्ट व जैविक खादों के निर्माण आदि वैकल्पिक उपयोगों के संबंध में किसानों को जानकारी दी जाये और फसल अवशेष जलाने वाले किसानों को चिन्हित कर शासन के निर्देशानुसार विधिक कार्यवाही की जाये।  

मुख्य विकास अधिकारी निधि बंसल द्वारा गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि शासन द्वारा पराली जाने पर 2 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों से रू0-2500/-, 2 से 5 एकड़ भूमि वाले किसानों से रू0-5000/- तथा 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों से रू0-15000/-का जुर्माना प्रति घटना वसूल किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही ऐसे किसानों को किसान सम्मान निधि से वंचित किए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। किसानों से अपील है कि वो अपनी जमीन पर किसी भी दशा में फसल अवशेष न जलाएं।

उप कृषि निदेशक द्वारा बताया गया कि वर्तमान में हमारी जमीन को जैविक खादों की आवश्यकता है, जिससे मृदा संरचना में सुधार हो और उत्पादन में वृद्धि हो सके। फसल अवशेषों का प्रयोग कम्पोस्ट तथा अन्य जैविक खाद बनाने में किया जा सकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) द्वारा विकसित बायो-डिकम्पोज़र के प्रयोग से जैविक खाद बनाना अधिक आसान हो गया है। खेत में पड़े फसल अवशेषों पर बायो-डिकम्पोजर का प्रयोग कर किसान भाई इसे खेत में ही डिकम्पोज कर (सड़ा) सकते हैं अथवा पैडी स्ट्राचापर, श्रेडर, मल्चर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लेशर, हाइड्रोलिक रिवर्सेबल एम0बी0 पलाऊ, सुपर सीडर, बेलर, सुपर स्ट्रा, मैनेजमेंट सिस्टम यंत्रों के माध्यम से फसल अवशेषों को खेत में मिला सकते है। इससे भूमि की दशा में सुधार होता है और उत्पादन बढ़ता है। यह यन्त्र जनपद के कई चिव के पास किराए पर उपलब्ध हैं।  

कार्यक्रम में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, अधिशाषी अभियन्ता, लघु सिंचाई अधिशाषी अभियन्ता विद्युत, अधिशाषी अभियन्ता नहर, जिला कृषि अधिकारी, भूमि संरक्षण अधिकारी महोली व सीतापुर, जिला गन्ना अधिकारी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य, जिला उद्यान अधिकारी अग्रणी बैंक प्रबन्धक, ए0आर0 को-ऑपरेटिव और जनपद के विभिन्न विकास खण्डों के अग्रणी किसानों द्वारा प्रतिभाग किया गया।