परसौना में दर्दनाक सड़क हादसा: दूध विक्रेता की मौत, सड़क पर लगा लंबा जाम, जनता में आक्रोश

निष्पक्ष जाना अवलोकन! सोनू वर्मा! सिंगरौली /जिले के परसौना क्षेत्र में एक बार फिर वीभत्स सड़क हादसा हुआ है, जिसमें चांचर निवासी एक दूधवाले की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। हादसा इतना भयावह था कि घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई और देखते ही देखते सड़क पर लंबा जाम लग गया, जिससे घंटों तक आवागमन पूरी तरह बाधित रहा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह हादसा तेज रफ्तार टेलर और हाइवा ट्रकों की लापरवाही का नतीजा है, जो इस मार्ग पर लगातार तांडव मचाए हुए हैं। यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई निर्दोष नागरिक इस मार्ग पर अपनी जान गंवा चुके हैं। बावजूद इसके, प्रशासन और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बने हुए हैं। स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि वर्षों से वे सड़क चौड़ीकरण की मांग कर रहे हैं। कई बार आवेदन दिए गए, जन आंदोलन किए गए, लेकिन प्रशासन ने सिर्फ खानापूर्ति करते हुए कुछ गड्ढे भरवा दिए। अब तक ठोस निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया। हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन समाधान कहीं नजर नहीं आता। आक्रोशित नागरिकों ने सवाल उठाया है कि आखिर सिंगरौली की जनता को अपनी जान की कितनी कीमत चुकानी होगी, तब जाकर यह सड़क बनेगी? जनता का कहना है कि इस मार्ग से प्रतिदिन भारी वाहन गुजरते हैं, जिनका फायदा कंपनियों और कुछ नेताओं को होता है, लेकिन आम नागरिक केवल मौत का शिकार हो रहा है। जनता की पीड़ा यह भी है कि यहां के सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधि केवल चुनावों के समय दिखते हैं और वादों की झड़ी लगाते हैं। दुर्घटनाओं के बाद वे मौन साध लेते हैं। लोगों का आह्वान है कि यदि एक दिन के लिए पूरे मार्ग को बंद कर दिया जाए तो शायद प्रशासन और कंपनियों को जवाब देना पड़े, लेकिन डर और दमन के माहौल के कारण कोई आगे नहीं आता। स्थानीय निवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस सड़क के स्थायी समाधान की दिशा में कार्रवाई नहीं हुई, तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। साथ ही, जनप्रतिनिधियों से पूछा गया है कि अब किस मुंह से वे वोट मांगने आएंगे? यह हादसा एक बार फिर स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता को उजागर करता है। सवाल यह है कि कब जागेगा सिस्टम? और कब मिलेगा आम आदमी को सुरक्षित सड़क पर चलने का अधिकार?