खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किसान हरी खाद के लिए लगाएं ढैंचा
किसान आगामी सितम्बर-अक्टूबर में गन्ना लगाए तो होगा भारी उत्पादन
निष्पक्ष जन अवलोकन प्रभात कुमार शुक्ला
पारले चीनी मिल फखरपुर, बहराइच। आज के समय में किसान अच्छा उत्पादन करने के लिए अपने खेतों में अंधाधुंध रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते है जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है। इसका असर फसल के गन्ना उत्पादन पर भी पड़ता है। इसके साथ मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन भी कम हो गया है, ऐसे में किसान खेत में हरी खाद ढैंचा की खेती कर सकते है। जिससे खेतों की भौतिक और रासायनिक दशा में सुधार होता है। जिससे फसल उत्पादन में भारी बढ़ोतरी होती है। इसलिए खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किसानों को साल में एक बार हरी खाद ढैंचा की खेती जरूर करनी चाहिए। जो 45 दिन में तैयार हो जाती है। इस फसल को तैयार हो जाने के बाद ट्रैक्टर चलित हैरो से खेत में मिट्टी में मिला दिया जाता है जो वर्षा होने के बाद खेत में पूर्णतया सड़ जाता है। अपघटन बढ़ने से मिट्टी के जैविक और रासायनिक गुणों में वृद्धि होती है। इससे खेत में जल धारण करने की क्षमता भी बढ़ जाती है। इसके साथ ही आने वाली गन्ना फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश मिलता है। इससे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी बढ़ता है। अतः इस समय जो भी खाली खेत है उनमे अधिक से अधिक हरी खाद के लिए ढैंचा फसल लगाए। जिससे भूमि में कार्बन की मात्रा में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होगी और गन्ना उत्पादन भी काफी अच्छा होगा। इसके अलावा पारले द्वारा भी किसानों की मिट्टी जांच निशुल्क की जा रही है। भूमि अच्छी होगी तो उत्पादन अधिक होगा। इसके लिए भारी अनुदान पर पारले बायो फर्टिलाइजर, आर्गेनिक खाद अपने किसानो को दे रही है। इन सभी बातों की चर्चा पारले के एसोसिएट मुख्य गन्ना प्रबंधक संजीव राठी ने गोष्ठी के दौरान बनवा ग्रामसभा में किसानों को बताया। गोष्ठी में 120 किसान एवं पूर्व अध्यक्ष सरदार सिंह सहकारी गन्ना विकास समिति बहराइच, अन्य अधिकारीगण सूबेदार, अमरेंद्र, प्रवेश, सूर्य प्रताप, नागेंद्र उपस्थित रहे।