खेती को बढ़ावा देने हेतु आई.सी. ए.आर की पहल पर विकसित किए जा रहें है
निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रताप तिवारी। तिलहन मॉडल ग्राम परियोजना अन्तर्गत कृषकों को समेकित पोषक तत्व एवं कीट रोग प्रबंधन पर जागरूक करके तिलहन की खेती को बढ़ावा देने हेतु आई.सी. ए.आर की पहल पर विकसित किए जा रहें है माडल गांव सीतापुर --- सरसों की खेती को अधिक लाभकारी बनाने के उद्देश्य से वैज्ञानिकों ने हाल ही में भारत सरकार की पहल पर चयनित माडल विलेज अन्तर्गत किसानों के प्रक्षेत्रों का भ्रमण किया और सरसों की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं। कृषि विज्ञान केन्द्र कटिया द्वारा तिलहन मॉडल ग्राम परियोजना अन्तर्गत जिले के ब्लॉक पिसावां के ग्राम- खोझेपुर (अनंतापुर) को चयनित किया गया है। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ०दया शंकर श्रीवास्तव ने कहा कि सरसों का बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को फसल प्रबंधन में खरपतवार नियंत्रण, संतुलित उर्वरक का प्रयोग,और उचित सिंचाई तकनीक अपनाने पर बल दिया।डॉ०श्रीवास्तव ने सरसों की फसल में कीट और रोग प्रबंधन पर जानकारी देते हुए बताया कि सरसों की फसल को सफेद रतुआ, अल्टरनेरिया ब्लाइट, और एफिड्स जैसे कीट एवं रोगों से नुकसान हो सकता है। इनसे बचाव के लिए जैविक उपाय जैसे नीम, प्याज़, और लहसुन के रस का उपयोग, पीला एवं नीला चिपचिपा पाश के प्रयोग को प्राथमिकता दें। रासायनिक उपाय में मैनकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव एवं इमिडाक्लोप्रिड का प्रयोग किया जा सकता है फसल के आसपास साफ-सफाई रखें।नियमित निगरानी करते हुए संक्रमित भाग दिखाई दें तो उसे काटकर गढ्ढे में दबा दें। प्राकृतिक परजीवी जैसे लेडी बर्ड बीटल का संरक्षण पर्यावरण के लिए बेहतर है। कृषि विज्ञान केन्द्र के सस्य वैज्ञानिक डॉ०शिशिर कांत सिंह ने किसानों को सरसों की नई और उन्नत किस्मों जैसे-गिरिराज,आर०एच० -749,आर०एच०725 और राधिका की विशेषताओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह प्रजातियां कम पानी में भी बेहतर उत्पादन देती हैं और इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है।कार्यक्रम में किसानों को मृदा परीक्षण की महत्ता पर विशेष रूप से जोर दिया गया। सरसों की अच्छी उपज के लिए मृदा में उपलब्ध पोषक तत्वों की स्थिति जानने के बाद ही उर्वरकों का चयन करें। सरसों की फसल के लिए सल्फर भी एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है।यह तेल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि करता है।चर्चा उपरांत वैज्ञानिकों ने प्रायोगिक प्रक्षेत्र पर जाकर किसानों को वास्तविक फसल प्रबंधन तकनीकों का प्रदर्शन किया और उनके सवालों के उत्तर दिए। कार्यक्रम में अजीत यादव, अहिबरन सिंह,दिनेश कुमार रोहित कुमार,सर्वेश,श्याम सिंह,अखिलेश कुमार, सुधा कर,रामगोपाल,रामसागर, विवेक प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया।कार्यक्रम के अन्त में किसानों ने सरसों की खेती में अपनाई जाने वाली तकनीकों को लेकर अपनी रुचि और भविष्य की योजनाओं को साझा किया।