श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास ने दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश ।

निष्पक्ष जन अवलोकन। । शिवसंपत करवरिया ब्यूरो चीफ। विकास पथ सेवा संस्थान के सचिव डॉक्टर प्रभाकर सिंह कथा श्रोताओं को बांटे फ्रूट जूस चित्रकूट। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. प्रभाकर सिंह ने कहा कि प्रकृति और जीव एक-दूसरे के पूरक हैं। जब तक हम इस सृष्टि से प्रेम नहीं करेंगे, तब तक हम अपने जीवन को सही अर्थों में सार्थक नहीं बना पाएंगे। हमारे शास्त्रों में कहा गया है—"सर्वं खल्विदं ब्रह्म"—अर्थात संपूर्ण सृष्टि ही ब्रह्म का रूप है। यही भाव हमें प्रकृति की रक्षा करने और उसके प्रति संवेदनशील बनने की प्रेरणा देता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं प्रकृति को पूज्य माना और उसकी रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण संदेश दिए। डॉक्टर प्रभाकर सिंह ने कहा कि जब इंद्र के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा करनी थी, तब उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठाकर यह सिद्ध किया कि पर्वत, नदियाँ, वृक्ष और समस्त पर्यावरण हमारी रक्षा करते हैं और हमें भी उनकी रक्षा करनी चाहिए। वृंदावन की कुंज-गलियों में श्रीकृष्ण का प्रेम केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं था, बल्कि वे गौओं, पक्षियों और वृक्षों के भी रक्षक थे। उनकी बांसुरी की धुन से समस्त चराचर जगत आनंदित हो जाता था। आज जब हमारी नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं, जंगल कट रहे हैं, और पर्यावरण असंतुलन की ओर बढ़ रहा है, तो हमें भी श्रीकृष्ण के दिखाए मार्ग पर चलकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए। कथा व्यास मिथलेश त्रिपाठी अपने वक्तव्य में कहा कि भगवान के भजन और आध्यात्मिक साधना के साथ हमें अपने कर्मों को भी सुधारना होगा। यदि हम वास्तव में श्रीकृष्ण के भक्त हैं, तो हमें उनकी सिखाई गई जीवनशैली को अपनाना होगा—जहाँ प्रकृति का सम्मान, जीवों के प्रति करुणा और आत्मसंयम का भाव प्रमुख हो। जब हम पर्यावरण की रक्षा करेंगे, जल की पवित्रता बनाए रखेंगे, वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करेंगे, और नशामुक्त जीवन अपनाएँगे, तभी यह पृथ्वी एक स्वस्थ, संतुलित और सुखद भविष्य की ओर बढ़ सकेगी।इसके साथ ही उन्होंने नशामुक्ति की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि नशा केवल व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि उसके परिवार और समाज को भी नष्ट कर देता है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि जो भी व्यक्ति किसी प्रकार का नशा करते हैं, वे आज भगवान को साक्षी मानकर संकल्प लें कि वे नशा का पूर्ण रूप से त्याग करेंगे। जब मनुष्य नशामुक्त होगा, तब ही उसका शरीर, मन और आत्मा पवित्र होगी, जिससे उसका परिवार सुखी रहेगा और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होगा। कथावाचक ने सभी से आह्वान किया कि हम मिलकर एक ऐसा समाज बनाएं जहाँ श्रीकृष्ण के विचारों के अनुरूप प्रकृति, पर्यावरण और मानवीय संवेदनाएँ सुरक्षित रहें। भागवत कथा एवं भजन भरतपुर गांव में वंश गोपाल सोनी द्वारा कराया जा रहा है कथा में विकास पथ सेवा संस्थान द्वारा कथास्थल पर पर्यावरण संरक्षण एवं तंबाकू गुटखा से होने वाले नुकसान के जागरूकता पोस्टर लगाए गए हैं। डाबर इंडिया लिमिटेड के सहयोग से कथा श्रोताओं एवं ग्रामीणों को फ्रूट जूस का वितरण भी किया गया।