पन्डित रामदयाल शास्त्री की एकांकी संग्रह कविताएं साहित्य समाज में प्रासंगिक एंव प्रेरणा दायक हैं
निष्पक्ष जन अवलोकन । अजय रावत । सिरोलीगौसपूर।हे सूर्य शपथ है तुझको मेरी,बोल कंहा मैं जांऊ। मिले प्रज्वलित दीप जंहा,जिन पर मैं प्रेम पकांऊ। यह बात पन्डित राम दयाल शास्त्री ने उपरोक्त पंक्तियां अपनी वरदान दे नामक शीर्षक से एक कविता में लिखीं हैं। तहसील सिरौलीगौसपुर से सटे हुए ग्राम पीठापुर के रहने वाले रामदयाल शास्त्री जो कि पढाई के साथ साथ एकांकी संग्रह ,कविताएं लिखते रहे काब्य वंदना आदि का प्रकाशन कराया किताबे आने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उनके द्वारा लिखित पुस्तकें साहित्य समाज में प्रासंगिक एंव प्रेरणा दायक हैं जो भविष्य में मील का पथ्थर सावित होंगी।