सकरन में पत्रकार कर रहे अवैध वसूली मीडिया ट्रायल का शिकार हो रहे प्रधान व कर्मचारी
सकरन मैं पत्रकार कर रहे अवैध वसूली मीडिया ट्रायल का शिकार हो रहे प्रधान व कर्मचारी
निष्पक्ष जन अवलोकन। सतीश सिंह।
सीतापुर। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से आमलोगों का विश्वास उठाते चंद कलमकार जिनकी भ्रामक खबरों से है हर कोई हलकान।दूषित मानसिकता के पत्रकारों से क्षेत्र की आवाम हो चुकी है आहत,दिन ब दिन बगैर सिर पैर की खबरों से पत्रकारिता की निष्पक्षता पर उठने लगे सवाल।नाम न छापने की शर्त पर एक जनप्रतिनिधि ने बताया कि रंगदारी वसुलबाज कथित पत्रकारों की वजह से क्षेत्र के विकास कार्यों में आ रहीं अड़चने,कोई भी संभ्रांत व्यक्ति अपनी अस्मिता को दांव पर लगाकर नहीं करवाना चाहता विकास कार्य।इन वसुलीबाज पत्रकारों को रकम न देने पर अधिकारियों,कर्मचारियों व जनप्रतिनिधियों पर रिश्वत खोरी का लांक्षन लगाने में नहीं करते एक पल भी देर।एक कर्मचारी ने बताया एक पत्रकार महोदय व्यक्तिगत रंजिश के चलते हमारे द्वारा करवाए जा रहे कामों की फैलाते हैं भ्रामक खबरें,निर्माण करवाए जा रहे रास्ते को दिखा रहे पूर्व का पक्का निर्माण पर इन्हें कौन बताए कि गद्धायुक्त कच्चा चकरोड के गड्ढे से मुक्ति दिलाने के लिए ग्रामपंचायत की संस्तुति पर मनरेगा के तहत जा रहा है पटवाया,अब उन्हें कौन बताए कि क्या किसी पक्के निर्माण पर हो सकता मिट्टी कार्य?ऐसे ही नाले की सफाई के लिए 30 सेंटीमीटर खुदाई के साथ बनाये गए एस्टीमेट में झाड़ी युक्त जगह का फोटो खींचकर मोटी रकम की वसूली का बना रहे दबाव जबकि सत्यता यह है कि काफी लंबाई तक फ्रेश कार्य हो चुका है उसकी नहीं वाइरल करते फोटो।ऐसे ही एक ग्राम प्रधान ने बताया कि अपने आप को एक पत्रकार बताने वाले बंधु ने तालाब खुदाई की फोटो उस एंगल से खींची है जहां सिर्फ 2 लेबर दिख रहे जबकि काम पर पूरे मनरेगा मजदूरों का लगा था मेला।बगैर स्थलीय निरीक्षण के भ्रामक फोटो के साथ भ्रामक खबर इसलिए प्रकाशित करते हैं कि उन्हें नहीं दी जा रही रंगदारी।
सकरन क्षेत्र में ऐसे पत्रकारों की वजह से जो किसी भी बगैर सिर पैर की खबर करते हैं प्रकाशित जिससे सम्मानित जनप्रतिनिधियों ग्राम प्रधानों व जनता की सेवा करने वाले अधिकारियों की स्वच्छ छवि होती है धूमिल वो भी सिर्फ चंद नोटों की वसूली के चलते,जबकि आज तक किसी भी जांच में किसी भी मनरेगा के विकास कार्य मे नहीं मिली कोई खामी यदि कहीं मिली है तो तत्काल हुई है कार्यवाई जैसे कि हाल ही में बारासिंघा में जेसीबी के जरिए तालाब खुदाई।ऐसी स्थिति में जिला सूचना अधिकारी व अन्य सक्षम अधिकारी ऐसी भ्रामक खबरें फैलाने वालों के खिलाफ क्यों नहीं लेते एक्शन?
पत्रकारिता की निष्पक्षता को समाप्त करने वाले ऐसे चंद लोगों पर आखिर कानूनी कार्यवाई कब?सम्मानित पदासीनों की स्वच्छ छवि पर कीचड़ उछालने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं?
ऐसे पत्रकार जो भ्रामक खबरें प्रकाशित कर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स के जरिए कर्मठ जनसेवकों की छवि करते हैं धूमिल और सेटिंग गेटिंग के जरिए करते हैं अवैध वसूली।मामला तो यहां तक सुनने में आया है कि मनचाही वसूली न देने की स्थिति में जातिसूचक अभद्रता की धमकी के साथ महिला मेटों के साथ दुर्व्यवहार करने में नहीं करते कोई संकोच,जिनकी रंगदारी के किस्से क्षेत्र की गली कूचों में हो चुके हैं आम।