कमीशन खोर ने लिखाई प्रधानों,सचिव,टी ए और रोजगार सेवक के नाम दर्ज कराई एफआईआर।

कमीशन खोर ने लिखाई प्रधानों,सचिव,टी ए और रोजगार सेवक के नाम दर्ज कराई एफआईआर।

कमीशन खोर ने लिखाई प्रधानों,सचिव,टी ए और रोजगार सेवक के नाम दर्ज कराई एफआईआर।

कमीशन खोर ने लिखाई प्रधानों,सचिव,टी ए और रोजगार सेवक के नाम दर्ज कराई एफआईआर।

महमूदाबाद सीतापुर, 

जनपद सीतापुर की ब्लाक महमूदाबाद इलाके की 4 ग्राम पंचायतो के प्रधान,1 टीए, 3 सचिव, 4 रोजगार सेवक सहित कोतवाली महमूदाबाद में 14 जुलाई 2024 को कमिशन खोर (बी डी ओ)घोटाले का आरोप लगाते हुए एक एफआईआर दर्ज करा दिया।इसकी जानकारी जैसे ही ग्राम प्रधानों को हुई तो उनके पैरों के तले से जमीन खिसक गई।आपको बता दें कि इस एफआईआर के तहत जब मीडिया टीम ग्राम पंचायत बेहटी में धरातल पर पहुंची। तो वहाँ पर ग्रामीणों के द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया।कि गाँव में माह मार्च 2024 के महीने में ही पूरी इंटरलॉकिंग का कार्य पूरा हो गया था। कि अब सोचने वाली बात यह है कि जब माह मार्च 2024 में इंटरलॉकिंग का कार्य पूर्ण हो गया।फिर 14 जुलाई 2024 की मध्य रात्रि में बी डी ओ (कमीशन खोर) के द्वारा उपरोक्त लोगों के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज कराई?जबकि स्थानीय विभाग के कर्मचारी एवं जनपद मुख्यालय के अधिकारियों ने मौके की जांच करके कार्य को सही पाये जाने की लिखित रिपोर्ट खण्ड विकास अधिकारी महमूदाबाद श्रीश गुप्ता सहित जनपद सीतापुर के जिलाधिकारी महोदय सहित कई अन्य को प्रेषित कर इति श्री कर दिया था।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस ब्लाक की किसी भी ग्राम पंचायत में कोई भी विकास कार्य होता है तो उस कार्य से पहले खण्ड विकास अधिकारी उस प्रधान से अपना कमीशन अवैध लेकर ही आगे का कार्य करने देते हैं। अगर सूत्रों की मानें तो लगभग ब्लाक में 35 से 40% कमीशन खण्ड विकास अधिकारी से लेकर अन्य अधिकारी ले लेते हैं और जब किसी विकास कार्य को लेकर ग्रामीणों के द्वारा जब शिकायत होती हैं तो कार्य की गुणवत्ता पूर्ण करने की बात कहते है।जब आधे का एक तिहाई हिस्सा ब्लाक अधिकारी ही ले लेते हैं तब पंचायत में विकास कार्य करने का आदेश प्राप्त होता है फिर भी प्रधान घोटाले बाज कह कर एफ आई आर लिखाई जाती है।अब अगर जमीनी हकीकत में देखा जाये तो जो एफआईआर प्रधानों के खिलाफ खण्ड विकास अधिकारी श्रीष गुप्ता ने कराई है, तो कहा तक सही है।यह तो जांच का विषय है। सूत्र बताते हैं कि यह एफआईआर खण्ड विकास अधिकारी श्रीष गुप्ता के खिलाफ और एकाउंटेंट पर दर्ज होनी चाहिए।क्योंकि बिना खण्ड विकास अधिकारी के सरकारी धनराशि को प्रधान को कैसे प्राप्त हुई?यह जांच का विषय है।क्या खण्ड विकास अधिकारी श्रीश गुप्ता दोषी नहीं हैं?अगर है तो इन पर मुकदमा भी दर्ज होने चाहिए।इस पूरे मामले की बिधि व्यवस्था के तहत मजिस्ट्रेटी जांच होने के बाद दोषी पाये जाने पर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।क्योंकि जब बेहटी ग्राम पंचायत में जमीनी स्तर पर इंटरलॉकिंग का कार्य पूर्ण हो गया तो मुकदमा क्यों लिखाया गया।इसका जबाब कौन देगा?