सीएचसी अधीक्षक कसमंडा से मांगी आरटीआई का नहीं मिला जबाब,आगे हुई अपील

सीएचसी अधीक्षक कसमंडा से मांगी आरटीआई का नहीं मिला जबाब,आगे हुई अपील

सीएचसी अधीक्षक कसमंडा से मांगी आरटीआई का नहीं मिला जबाब,आगे हुई अपील

निष्पक्ष जन अवलोकन 

सतीश कुमार सिंह 

 आरटीआई की अपील सीएमओ के दरबार में क्या अब मिल जाएगी मांगी सूचना

 सीएचसी के पूर्व अधीक्षक अरविंद वाजपेई के कार्यकाल की मांगी गई थी सूचनाएं, सूचना न मिलने से कार्यों में भ्रष्टाचार की बढ़ी आशंका

सीतापुर। आरटीआई कानून का किस तरीके से मजाक बनाया जा रहा है यह भी लापरवाह अधिकारियों की कार्यशैली से प्रतीत हो रहा है कि उनके द्वारा जो जानकारी आरटीआई के माध्यम से मांगी जाती है वह सूचनाएं आवेदन कर्ता तक आसानी से नहीं पहुंचती इसका जीता जागता उदाहरण आपको मिल ही जाएगा आरटीआई कर्ताओं से बातचीत में कि उनके द्वारा आरटीआई अगर मिल जाए तो जनपद में जिन भ्रष्टाचारी अधिकारियों के खिलाफ आरटीआई भ्रष्टाचार की आशंका में सूचनाएं मांगने के लिए दी जाती है लेकिन आलम यह है कि वह अधिकारी उसका जवाब देना मुनासिब नहीं समझते तो क्या इसका यही मतलब निकल जाए की कहीं बड़ा गड़बड़ झाला हुआ है जिसके तहत मांगी गई सूचनाएं नहीं दी जा रही क्या यही कारण हो सकता है? फिलहाल तो इससे यही स्पष्ट होता है कि आरटीआई कानून पर सरकारी अमला सही तरीके से कार्य नहीं कर रहा है कहीं न कहीं आवेदन कर्ता को परेशान करने की और थक हार कर बैठ जाने की कोशिश की जाती है जिसमें कई सफल भी हो जाते हैं तो कई ऐसे आवेदन कर्ता होते हैं जो आरटीआई पाने में सफल हो जाते हैं। आरटीआई आवेदन कर्ता और जिला अध्यक्ष मानवाधिकार सहायता संघ अंतरराष्ट्रीय के राजकुमार मिश्रा बताते हैं की कई बार आवेदन कर्ता को ऐसा लगता है की आरटीआई नहीं प्राप्त हो पाएगी लेकिन इसके बाद जब अपील होती है तब आसार लगते हैं कि अब आरटीआई अपीलीय अधिकारी द्वारा प्राप्त कराई जाएगी,परंतु ऐसा नहीं होता है, आवेदनकर्ता आयोग तक का सफर तय करना पड़ता है और सूचना आयोग से जब नोटिस प्राप्त होता है तो आरटीआई देने वाले अधिकारियों के हाथपांव फूल जाते हैं कि अब तो खुलकर रहेगा ही भ्रष्टाचार उनके दबाने से भी नहीं दबेगा। जिला अध्यक्ष ने बताया कि सीएचसी कसमंडा अधीक्षक अरविंद वाजपेई के कार्यकाल में रहते (वर्तमान में लहरपुर अधीक्षक पद पर तैनात)हुए सूचनाएं मांगी गई थी परंतु नहीं प्राप्त हुई जिस पर उनके द्वारा अपील की गई है तो अभी आशा है कि उनको आरटीआई का जवाब प्राप्त कर दिया जाएगा और मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध करा दी जाएगी अगर ऐसा नहीं हुआ तो उनके पास एकमात्र विकल्प यही रहेगा कि वह राज्य सूचना आयोग इसकी अपील करेंगे क्योंकि अगर घोटाला हुआ है तो वह बाहर होना चाहिए क्योंकि कहीं ना कहीं उन्हें यह हकीकत नजर आ रही है कि कुछ तो है जो छुपाया जा रहा है वह बाहर आना चाहिए और जनमानस को हकीकत से रूबरू होना चाहिए और क्या है क्या नहीं यह तो तभी समझ में आएगा जब आरटीआई का जवाब उनको प्राप्त होगा कब होगा यह कहना तो मुश्किल है लेकिन मिलेगा जरूर और चाहे इसके लिए उनको आयोग का रुख भी करना पड़े तो भी वह पीछे नहीं हटेंगे और अगर घोटाला हुआ तो उसकी जांच के लिए भी वह पूर्णतः प्रयास करेंगे।