गौ संचालकों की उदासीनता बना हुआ गौ वंशो के मौत का सबाब

गौ संचालकों की उदासीनता बना हुआ गौ वंशो के मौत का सबाब

निष्पक्ष जन अवलोकन।

बदरूजमा चौधरी।

बलरामपुर । विकासखंड पचपेड़वा आपको बताते चलें आदम तारा जहां गौ संरक्षण पर सरकार द्वारा करोड़ों रुपया खर्च करके उनकी व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त रखने का लगातार दावे योगी आदित्यनाथ सरकार के द्वारा किया जा रहा है तो वही जमीनी स्तर पर गौ वंशो की हालत काफी दयनीय है जहां भूख व इलाज के अभाव में लगातार गोवंश दम तोड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं वही देखा जा रहा है की गौशाला के आहार और पौष्टिक पदार्थ व इलाज में मिलने वाली धान को कागज में भले ही गौशाला के इलाज और भोजन के के लिए व्यवस्था दिखाया जाता हो लेकिन अक्सर गौ आश्रय केंद्र का हालात यह है कि वहां गौ आश्रय संचालक और विभागीय जिम्मेदारों के मिली भगत का बोलबाला है और सरकारी धन के बंदरबांट का खेल लगातार खेला जा रहा है जिसकी तस्वीर अक्सर गौ आश्रय केंद्रो का दुर्दशा देखने के लिए पर्याप्त है तस्वीर बताती है व्यवस्थाएं क्या है और किसी प्रकार गोवंश को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है जबकि योगी सरकार में गौ आश्रय केंद्र में गौवंश को संरक्षण को लेकर पर्याप्त मात्रा में धन खर्च किया जा रहे के दावे होती है फिर भी गौ संरक्षण के दावे फेल के लिए पर्याप्त है जबकि लगातार आदम तारा गौसाला मैं भ्रष्टाचार का खेल खेलने की बात सामने आ रही है जहां पर गौ संरक्षण व सेवा के नाम पर गौ संचालक और स्थानीय जिम्मेदार की मीली भगत का खेल लगातार जारी है जिसका दुर्दशा कहीं ना कहीं गौशाला में रहने वाले गौवंश को झेलना पड़ रहा है और उनकी लगातार मौत हो रही है और उनके शव को चील कौवा और कुत्ते का निवाला बनने के लिए बाहर फेंक दिया जाता है ताजा मामला जनपद बलरामपुर के विकासखंड पचपेड़वा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत आदम तारा में बने गौशाला का है जहां पर भूख और इलाज के अभाव में गौ वंशौ के सूत्रों से जानकारी आई मरने के बाद लाश गौशाला के बगल में फेंक दिया जाता है लाश पड़ा देखा जा रहा है और उनके लाश को चील कौवे तथा कुत्ते नोच कर अपना निवाला बना रहे हैं जिसकी तस्वीर देखने को मिल रहा है ऐसे में सवाल उठता है की क्या सरकारी गौ आश्रय केंद्र के द्वारा गोवंश संरक्षण की बात कह रही है वही कितना सच है और कितना सटीक है जिसको लेकर सम्बंधित अधिकारियों का इसका जवाब देना पड़ेगा की इतनी व्यवस्था के बाद भी गोवंश की हालात इस प्रकार कैसे हैं जबकि इससे पहले भी पचपेड़वा विकासखंड के इमलिया कोडर में ऐसे मामला प्रकाश में आया था जिसमें आधे दर्जन से अधिक मौत के बाद उनके लाशों को जंगली जानवर और चील कौवा निवाला बनने के लिए खलिहान वह जंगल में फेंक दिए जाते थे जिसको लेकर काफी हलचल भी हुई थी जबकि योगी सरकार का यहां भी कहना है की गौ आश्रय केंद्र में भ्रष्टाचार होने पर किसी को भी बक्शा नहीं जाएगा इस संबंध में संवाददाता जब विकासखंड अधिकारी से बात की जाती है तो उनका कहना जांच कर के कार्रवाई की जाएगी ग्राम पंचायत प्रधान कुंज बिहारी से बात किया तो कह रहे हैं कि कितना भी खबरें निकलोगे कुछ फर्क नहीं पड़ेगा हमें और ज्यादा दिक्कत है तो गौशाला आप ही चलाइए अपने धन का खर्च करके।