स्वास्थ्य विभाग का कारनामा हुआ उजागर सील हुई अस्पतालों का हो रहा है संचालन

स्वास्थ्य विभाग का कारनामा हुआ उजागर सील हुई अस्पतालों का हो रहा है संचालन

निष्पक्ष जन अवलोकन । बदरूजमा चौधरी। बलरामपुर पचपेड़वा कस्बे में बिना मानक गुणवत्ता के कुकुरमुत्ते की तरह नर्सिंग होम की बाढ़ आ गई है जहां नर्सिंग होम संचालक 5000 का 25000/रुपये का वसूली करते हैं वहीं कुछ आशा बहुएं मरीजों को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराकर दलाली खाते हुए बहती गंगा मे हाथ धो रहे हैं गैसड़ी उतरौला आदि स्थानों पर स्वास्थ विभाग छापेमारी कर रही है |परन्तु मामला बच्चा चोरी को छोड़कर पचपेड़वा पर क्यों अब तक मेहरबान है इसका कारण समझने के लिए गहन जांच की आवश्यकता है बताते चलें की पचपेड़वा जूड़ीकुइंया में बीते दिनों अकबरुन निसा पाली क्लीनिक को बन्द करवा दिया गया है परन्तु आज भी बगल के रास्ते से यहां पर आशा बहुओं की मेहरबानी से आये दिन केश हो रहा है जूड़ीकुइयां आदि स्थानो पर वर्तमान समय में दो दर्जन से अधिक नर्सिंग होम संचालित है यहां पर बी यू एम एस और बी ए एम एस जैसे लोग सर्जरी कर दे रहे हैं इन नर्सिग होमों मे छोटे व हल्के मर्ज में भी हजार पन्द्रह सौ की दवा लिख देते हैं इसके अलावा खून पेसाब एक्स-रे अल्ट्रासाउंड आदि में भारी रकम मरीजों से वसूला जाता है इसमें डाक्टरों का भी हिस्सा फिक्स है सूत्रों के अनुसार अनेक आशा बहुएं सरकारी अस्पताल में आने वाली प्रसूताओं को यह बताकर यहां बच्चा व जच्चा की जान खतरे में है फलां डाक्टर के यहां गारंटी से डिलवरी हो जायेगी इस प्रकार से भड़का कर सेटिंग के अस्पताल अकबरुन निशा पाली क्लीनिक में ले जाती हैं वहां इन्हें भी दो से पांच हजार तक दलाली (कमीशन) मिल जाता है यही कारण है जहां मरीज का काम निशुल्क में हो सकता है वहां उसे 20 से 25 हजार रुपए की मोटी रकम अपव्यय करना पड़ता हैं । परन्तु पचपेड़वा के प्रत्येक नर्सिंग होम में पूरा का पूरा मेडिकल स्टोर संचालित है जो सर्जन नहीं हैं मात्र वी यूं एम एस व वी ए एम एस डिग्री होल्डर मेज़र आपरेशन करने में जरा भी नहीं हिचकिचाते हैं नर्सिंग होम संचालक एम वी वी एस व सर्जन तथा अन्य रोंगों के विशेषज्ञों का नाम अपने बैनर पर लिखवा रखें हैं परन्तु डिग्री होल्डर डाक्टर कभी भी नहीं आते हैं जो डाक्टर आज के कुछ वर्षों पूर्व सामान्य व्यक्ति की श्रेणी में थे आज वे बोले भाले गरीबो को लूट कर अरब पति वन चुके हैं और समाज सेवा के नाम पर राजनीति में भी गहरी पैठ रखते हैं इसके अलावा कुछ डाक्टर इस तरह भी है कि उनके पास चिकित्सा संबंधी कोई डिग्री नहीं है परन्तु रसूख के चलते डाक्टर बन कर नर्सिंग होम चला रहे हैं अब तक गैसड़ी तुलसीपुर उतरौला आदि स्थानों पर स्वास्थ्य विभाग की टीमो ने छापे मारी कर के कुछ कार्यवाही की है परन्तु पचपेड़वा में स्वास्थ्य विभाग क्यों मेहरबान है एक प्रश्न बना हुआ है जब इस सम्बन्ध में संवाददाता द्वारा अपर सी एम ओ हरी नन्द त्रिपाठी से मोबाइल पर फोन कर जानकारी लिया गया तो उन्होंने कहा कि नर्सिंग होम को सील कर दिया गया है जबकि जिस नर्सिंग होम को सील किया गया है वह आज भी बगल के रास्ते से संचालित है