रिकवरी एजेंट अपने अधिकार सीमा के बाहर किसानों का कर रहे शोषण

साहब ऐसा व्यवहार न करो,हम मरीज हैं हमारे न हैं गुर्दे न वाल हार्ट का मरीज हूँ,बेटा लिवर का करवा रहा इलाज पोते को मानसिक बीमारी का चल रहा इलाज,कुछ रहम करो समय दो कर्ज जमीन बेचकर चुका देंगे:स्टेट बैंक शाखा सांडा का एक कर्जदार किसान

निष्पक्ष जन अवलोकन 

सतीश कुमार सिंह 

ऋण वसूली के नाम पर कर्जदार किसानों का एसबीआई सांडा कर रही हैरेसमेंट।

लोन वसूली के चक्कर मे एजेंट खा रहे ग्राहकों की जान,रात 7 बजे के बाद भी कर रहे परेशान।

सांडा(सीतापुर):आर बी आई के सभी दिशानिर्देशों को ताक पर रख शाखा स्टेट बैंक सांडा के प्रबंधक करवा रहे कर्जदार किसानों को परेशान,तैनात किए गए वसूली एजेंट तो कर्ज वसूली के लिए अपना रहे हरेक हथकंडा क्यों न वह मानसिक प्रताड़ना हो धमकी या अमानवीय व्यवहार के साथ निजी तौर पर बेइज्जत करना।एक पीड़ित कर्जदार किसान ने बताया कि पूर्व में वसूली एजेंट्स के द्वारा प्रताड़ना संबंधी मामले की खबर एक क्षेत्रीय पत्रकार ने की थी प्रकाशित जिसके लिए उस किसान को बार बार धमकाने के साथ दुर्व्यवहार व 10-10 लोग घर जाकर उसकी सामाजिक छवि को बदनाम कर रहे हैं।

तब से उसकी पत्नी को ऐसा आघात लगा है कि बीमारी से उबर नहीं पा रही है।एक अन्य कर्जदार किसान जोकि गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है उसको जबरन उठा लाए जिसके पुत्र व पौत्र भी गंभीर बीमारियों के आगोश में हैं फिर भी ये लोग चंद कमीशन के चक्कर में गरीब किसानों को परेशान करने में कोई छूट नहीं दे रहे।

अब इन्हें कौन बताए कि आरबीआई के fair practice code के तहत उन्हें पारदर्शिता और न्यायसंगत तरीकों से लोन रिकवर करने के निर्देश होते हैं वो भी जब ग्राहक लोन पर डिफॉल्ट करता है तो यहां तीन पक्ष ग्राहक,बैंक और रिकवरी एजेंट जो बैंक आईडी कार्ड,अथॉरिटी लेटर और बैंक की ओर से जारी किए गए नोटिस की कॉपी हो जोकि सबसे महत्वपूर्ण ये भी है की ये एजेंट्स ग्राहकों का किसी भी स्तर से शोषण नहीं कर सकते जिसके तहत सुबह 7 बजे के पूर्व व शाम 7 बजे के बाद नहीं कर सकते संपर्क।

यहां तो सुनने में आया है कि शाम रंगीन कर नशे में धुत झुंड के रूप में कुछ दबंग किस्म के लोगों के साथ कि जाती है वसूली।

आरबीआई ने उपभोक्ताओं को अनुचित ऋण वसूली प्रथाओं से बचाने के लिए दिशा-निर्देश और विनिमय जारी किए हैं।

धारा 3 उत्पीड़न की उपधारा ख में स्पष्ट कि ऐसा व्यक्ति जिसने कर्ज लिया है उसका पीछा करना,उसके स्वामित्व की संपत्ति में हस्तक्षेप करना या उसे उसकी संपत्ति से वंचित करना या बाधित करना अपराध की श्रेणी में आता है।

व्यक्तिगत ऋण पर चूककर्ता होने पर कारावास की सजा का भी कोई प्रावधान नहीं है जबतक कि उसमें धोखाधड़ी शामिल न हो।

अब इन वसूली एजेंटों को कौन बताए कि आप किसी भी कर्जदार से ऐसा दुर्व्यवहार नहीं कर सकते यदि आप ऋण संग्रहकर्ता एक पंजिकरिय संस्था हैं तो ऐसा करने पर आपके खिलाफ बैंकिंग लोकपाल या उपभोक्ता मंचों या राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के प्रति जवाबदेह होंगे।

अगर एजेंट किसी भी किसान को बार बार धमकी दे रहा है और गाली गलौज कर रहा है,आपके परिवार में किसी अन्य को तंग कर रहा है धमकी दे रहा है,वसूली के लिए एक से ज्यादा लोगों का इस्तेमाल कर रहा है या लिछ कर रहा है तो पीड़ित किसान उसकी निजता का उल्लंघन के मामले में अदालत में मानहानि का दावा कर सकता है।इतना कुछ झेल रहे स्टेट बैंक शाखा सांडा के कर्जदार किसान सिवाय रोने के कुछ भी नहीं कर पा रहे फिर भी बैंक प्रबंधन है कि कुछ भी मानने को नहीं तैयार।

पीड़ित किसानों की खबर प्रकाशित करने पर कर्जदार किसानों को ही बैंककर्मियों के द्वारा किया जाता है परेशान।