पत्रकार के चश्मे से देखिए सकरन के विकास का करिश्मा

पत्रकार के चश्मे से देखिए सकरन के विकास का करिश्मा

पत्रकार के चश्मे से देखिए सकरन के विकास का करिश्मा

निष्पक्ष जन अवलोकन 

सतीश कुमार सिंह 

दुनिया का आठवां अजूबा सकरन का विकास!

शासनादेशों की धज्जियां उड़ाते प्राइवेट कर्मचारियों पर कार्यवाई कब 

सकरन/सीतापुर:क्षेत्र के विकास में कोई कोर कसर न छोड़ने वाले सरकारी मुलाजिम क्षेत्र का तो कम पर अपना विकास ज्यादा जरूर कर चुके,एक अदद साइकिल व छत को तरसने वाले ईमानदार जनप्रतिनिधियों के तो विकास के पंख ही लग गए साथ ही कर्मचारियों अधिकारियों के लिए चरागाह बन कर रह गई बेचारी सकरन।

बात किस किस की की जाए ये नजारा आपको यहां आने वाले मुफ्त में काम करने वाले प्राइवेट कर्मचारिओं से लेकर संविदाकर्मियों व परमानेंट कर्मचारियों,अधिकारियों की चमचमाती रंगीन दुनिया को आभास कर ही पता की जा सकती।

क्षेत्र में कई ग्रामपंचायतें बगैर पंचायत भवनों के संचालित हो विकास का खाका ही नहीं विकास को खाक में मिला रहीं।विगत तीन वर्षों से बनने वाले सचिवालय आज भी अपूर्ण यही नहीं पुराने भवनों को वगैर विज्ञप्ति,टेंडर,बोली नीलामी,खुलीबैठक के तोड़वा कर लाखों रुपयों का मलबा हजम करने का काम किया गया फिर भी आज तक पंचायतों को नसीब नहीं हुए सचिवालय।पूर्व में क्षेत्र की दर्जनों ग्राम पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बनने वाले शौचालयों को तक हजम कर गए विकास पुरुष ईमानदार प्रधान व सचिव।अपात्रों को रेवड़ी की तरह जिस तरीके से आवास बांटे गए वो जगजाहिर पर तैनात जांच अधिकारियों व जिम्मेदारों की गुलाबी नोटों के आगे बन्द हो गई आंखें और पात्र रहे एक अदद छत को तरसते।जो प्रक्रिया लगातार आज भी जारी है।

फर्जी मनरेगा मजदूरों के साथ फर्जी कामों की झड़ी लगाने वाले जिम्मेदारों द्वारा बनवाई गईं अमृत वाटिकाओं में आज भी नहीं मौजूद पेड़,अमृत सरोवरों की खुदाई में जमकर हुई लूट,इंटरलॉकिंग निर्माण से लेकर नाली खड़ंजों में की गई खुल्लमखुल्ला लूट जहां सभी मानकों को ताक पर रख किए गए निर्माण कामों में लाखों के वारे न्यारे।

प्राइवेट कर्मचारियों से भरा पड़ा ब्लॉक मुख्यालय जिम्मेदार बीडीओ सकरन को नहीं आता नजर जिनका मुख्य उद्देश्य सिर्फ व सिर्फ गरीबों की लूट का है जहां एक परिवार रजिस्टर की नकल हजारों में,मुफ्त की बोरिंग,पम्पिंग सेट हजारों में,मुफ्त का आवास पेंशन हजारों में,फर्जी एम एम एस मस्टररोल फीडिंग हजारों में यही प्राइवेट कारिंदे सरकारी कर्मचारियों की सह पर रहे कर पर श्रीमानजी को नहीं रहा कुछ दिख।

सुनने में तो यहां तक आया है कि मोटी रकम व सुखसुविधा के लिए साहब लोगों ने अपने इर्द गिर्द ठेकेदारों को भी कर रखा है तैनात जो गौआश्रय स्थलों से लेकर हॉट बाजार,नाली इंटरलॉकिंग,आर आर सेंटर,पंचायत भवन,सोकपिट,हैंडपम्प सहित अन्य कामों को ग्रामप्रधानों से छिनवा कर इन ठेकेदारों से एक निश्चित रकम लेकर रहे दिलवा जिसका ही परिणाम है कि सैकड़ों विकास कार्य आज भी अधर में हैं लटके यही नहीं कई कामों के जमीन पर हुए बगैर हो गया है भुगतान।

अब ऐसी स्थिति में कैसे होगा आमजन का कल्याण और क्षेत्र का विकास जब उनके चुने जनप्रतिनिधि व सरकारी मुलाजिम ही मचाए हैं लूट।

आज तक किसी भी शिकायत की जांच न करवाने वाले ईमानदार व्यक्तित्व जिम्मेदार कब करवाएंगे क्षेत्र में आवासों,शौचालयों,सचिवालयों,नालियों,खड़ंजों,बगैर रिचार्ज सीसीटीवी कैमरों,अमृत सरोवरों,अमृत वाटिकाओं,बन्द पड़े सामुदायिक शौचालयों सहित अन्य कामों की जांच व ब्लॉक परिसर से वसुलीबाज प्राइवेट कर्मचारियों से मुक्ति?

उम्मीद करता हूँ कि ये बेबाक,बेखौफ लेखनी तब तक अवश्य चलती रहेगी जब तक कोई सामाजिक अथवा राजनैतिक संगठन इस गंभीर मामले को नहीं लेता संज्ञान और नहीं होता इन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई विशाल जन आंदोलन,जिससे क्षेत्र की गरीब मजलूम अवाम को मिल सके न्याय और इन लुटेरों को सजा जो खुद तो मलाई काट रहे और सत्तापक्ष की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को धता बता रहे।क्षेत्र के विभिन्न संदिग्ध विकास कार्यों में घोटालों व ब्लॉक परिसर के कार्यालयों में कार्यरत प्राइवेट कर्मचारियों के खिलाफ अंतिम लड़ाई तक चलती रहेगी लेखनी।