सीता स्वयंवर का हुआ मंचन

हर साल की तरह इस साल भी फतेहपुर मे रामलीला सेवा समिति द्वारा आयोजित रामलीला मे सीता स्वंयवर यज्ञ लीला का सजीव मंचन किया गया

सीता स्वयंवर का हुआ मंचन

निष्पक्ष जन अवलोकन। फैसल सिद्दीकी । फतेहपुर/बाराबंकी। आदर्श नगर पंचायत फतेहपुर मे रामलीला सेवा समिति द्वारा आयोजित रामलीला मे सीता स्वयंवर व धनुष यज्ञ लीला का सजीव मंचन किया गया। यह रामलीला कार्यक्रम की सबसे प्रचलित लीला है,जिसको लेकर कार्यक्रम स्थल पर भारी भीड़ थी। कार्यक्रम के दौरान रावण-बाणासुर व परषुराम-लक्ष्मण के संवादों ने लोगो का दिल जीत लिया। इस संवादों को देखकर उपस्थित लोगों ने पात्रों को पुरस्कृत भी किया। नगर के श्री उदासीन बाबा संगत आश्रम में चल रही रामलीला मे महाराज जनक द्वारा बंदीजन से कहकर माता सीता के स्वयंवर की घोषणा करवायी गयी। यह सुनकर कई देशों के राजाओं ने स्वयंबर में पहुॅचे वही यह बात बाणासुर और रावण को भी पता चली तो वह भी इस स्वयंबर में आ पहुॅचे। लेकिन कोई भी धनुष को तोड़ना तो दूर उसे हिलातक न सका। अन्त में समस्त राजाओं ने संयुक्त रुप से एक साथ धनुष उठाने का प्रयत्न किया किन्तु वह विफल रहे। यह देख जनक जी दुःखी हो गये और उन्होने कहा कि यदि हमें यह पहले पता होता कि इस धरती पर वीर नही है,तो हम यह प्रण न लेते जनक जी के यह शब्द सुनकर लक्ष्मण जी क्रोधित हो जाते है जिन्हे भगवान राम व मुनि विश्वामित्र शान्त कराते है फिर मुनि विष्वामित्र जी ने भगवान राम को आज्ञा दी कि वह धनु भंजन करे। गुरु की आज्ञा सुनते ही भगवान राम ने शिव जी के विषाल धनुष को उठाकर क्षण भर में तोड़ दिया और माता सीता के साथ स्वयंवर की रस्म अदा की। धनुष टूटते ही पूरे ब्रम्हाण्ड में खलबली सी मच गयी और राजागण भयग्रस्त हो गये इसी बीच भगवान परषुराम अत्यन्त क्रोध में आते है और समस्त राजाओं को कोड़े से मारने लगते है उनका क्रोध देख समस्त राजा भाग खड़े होते है। परषुराम जी के क्रोध को देख लक्ष्मण से भी नही रहा गया वह भी क्रोध में आ गये। परशुराम और लक्ष्मण के बीच काफी देर तक संवाद हुआ अन्त में भगवान राम ने अपने विष्णु रुपी अवतार को सिद्ध किया तो भगवान परषुराम जी राम व लक्ष्मण के गले मिलकर आशीर्वाद देते हुए चले गये।