भारतीय न्याय संहिता- 2023 समाविष्ट राष्ट्र निर्माण संकल्प की सकारात्मक अवधारणा* विषय पर दो दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन ।

निष्पक्ष जन अवलोकन। । शिवसंपत करवरिया ब्यूरो चीफ। चित्रकूट।सांविधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय शाखा विधान भवन लखनऊ की ओर से *भारतीय न्याय संहिता- 2023 समाविष्ट राष्ट्र निर्माण संकल्प की सकारात्मक अवधारणा* विषय पर दो दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन जगत गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय के अष्टावक सभागार मे माननीय सभापति विधान परिषद उत्तर प्रदेश कुंवर मानवेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में एवं रजिस्टार राजेश सिंह, कुलपति दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शिशिर कुमार पांडे की उपस्थिति में आज समापन हुआ । समापन के अवसर पर (मणिशंकर शंकर पांडे, महेश आर्या, शिवबोध राम, वीणा पांडे पूर्व एमएलसी,) डॉक्टर बृजेश चंद्रा, डॉक्टर अरुण यादव संपादक, राजकुमार चोपड़ा वरिष्ठ पत्रकार, डॉक्टर राजेश्वर प्रसाद यादव सहित सभी विद्वानों ने भारतीय न्याय संहिता 2023 समाविष्ट राष्ट्र निर्माण संकल्प की सकारात्मक अवधारणा विषय पर अपने अपने विचार व्यक्त किये ।सभी विद्वानों ने कहा कि ऐसी राष्ट्र का विकास हो जो अपनी मूल्यों को पिरोए हो, कहा कि जिससे इकाई से प्रारंभ होकर हम राष्ट्र निर्माण का कार्य कर सकें, समाज के स्थापना के लिए न्याय की आवश्यकता होती है इसको न्यायपालिका की मजबूती के साथ खड़े रहने की आवश्यकता है। *सांविधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान, उत्तर प्रदेश शाखा द्वारा आयोजित विचार-गोष्ठी में "भारतीय न्याय संहिता-2023: समाविष्ट राष्ट्र निर्माण संकल्प की सकारात्मक अवधारणा* विषय पर माननीय सभापति महोदय का समापन भाषण में कहा कि सभागार में उपस्थित संस्थान के गणमान्य सदस्यों, पत्रकार बन्धुओं, अधिकारीगण एवं विद्वतजन मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ कि आप सभी ने इस विचार गोष्ठी में अपने बहुमूल्य विचार रखे। विचार गोष्ठी में विमर्श हेतु निर्धारित विषय "भारतीय न्याय संहिता 2023: समाविष्ट राष्ट्र निर्माण संकल्प की सकारात्मक अवधारणा" हमारे देश के न्यायिक व्यवस्था के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण एवं प्रासंगिक है कहा कि विचारणीय विषय निःसन्देह समाज और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करने वाला है। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता में 2024 के संशोधन भारत के न्याय और समानता को स्थापित करने में परिवर्तनकारी मील के पत्थर साबित होंगे। भारत तेजी से विकसित हो रहे कानूनी परिदृश्य की जटिलताओं को संचालित कर रहा है, और इन परिवर्तनों के बीच भारतीय न्याय संहिता में इन संशोधनों का महत्व अतुलनीय है। वे न केवल विधायी कौशल को दर्शाते हैं, बल्कि मानव की गरिमा को बनाए रखने, कमजोर लोगों की रक्षा करने और ऐसे भविष्य को बढ़ावा देने के प्रति गहन प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं, जहां न्याय और समानता का प्रभुत्व हो। कानूनी प्रभावों से परे 2024 के संशोधन व्यापक सामाजिक परिवर्तन को उत्प्रेरित करते हैं जो स्थापित मानदण्डों को चुनौती देते हैं और उत्तरदायित्व तथा सम्मान की संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता में होने वाले संशोधनों का भारत में महिलाओं और बच्चों के लिए प्रभाव गहरा और व्यापक है लैंगिक आधारित हिंसा और ,शोषण करने वाले अपराधियों के खिलाफ कानूनी सुरक्षा को मजबूत करके और कड़े उपायों को लागू करके, ये सुधार एक सुरक्षित और अधिक न्यायसंगत समाज की दिशा में एक निर्णायक कदम का संकेत देते हैं। सवंर्द्धित कानूनी ढांचा महिलाओं को मौन अपराधों, घरेलू हिंसा और ऑनलाइन शोषण के खिलाफ मजबूत सुरक्षा प्रदान करता है। घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत प्रावधानों को मजबूत करके महिलाओं के वैवाहिक सम्बन्धों के भीतर अधिकारों की पुष्टि करते हैं और दुर्व्यवहार के मामलों में उपचार के लिए मार्ग सुनिश्चित करते हैं। दण्ड के यह प्रावधान संभावित अपराधियों को हतोत्साहित करते हैं और सम्मान और सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाले सामाजिक मानदण्डों को मजबूत करते हैं। कहा कि अनिवार्य न्यूनतम दण्ड की शुरूआत ऐसे अपराधों की गंभीरता को रेखांकित करती है। कहा कि डिजिटल प्लेटफार्मों के प्रसार के साथ, संशोधनों में बच्चों के खिलाफ ऑनलाइन अपराधों को विशेष रूप से लक्षित करने वाले प्रावधान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि साइबर बुलिंग, बाल अश्लीलता और ऑनलाइन ग्रूमिंग जैसी समस्याओं को सम्बोधित करने वाले नये अनुभागों को भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है जिन्हें संगठित अपराध के तौर पर स्थापित किया गया है, जो डिजिटल युग में नाबालिगों की सुरक्षा के लिए एक सक्रिय रूख दर्शाते हैं, ये उपाय मौजूदा कानूनों में खामियों को बंद करने और तकनीकी प्रगति का नापाक उद्देश्यों के लिए शोषण करने वाले अपराधियों के खिलाफ मजबूत कानूनी उपाय प्रदान करने का लक्ष्य रखते हैं। कहा कि भारतीय न्याय संहिता में विधायी परिवर्तनों के साथ-साथ न्याय वितरण को तेज करने और पीड़ित समर्थन प्रणालियों को बढ़ाने के उद्देश्य से सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यौन अपराधों और बाल शोषण के मामलों को संभालने के लिए समर्पित फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना कार्यवाही को सुव्यवस्थित करने और मामलों के बैकलॉग को कम करने का लक्ष्य रखती है कहा कि ये विशेष अदालतें त्वरित न्यायिक निर्णय सुनिश्चित करने और पीड़ित लोगों के लिए न्याय तक त्वरित पहुँच की सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण हैं, इसके अलावा मनोवैज्ञानिक परामर्श और कानूनी सहायता प्रदान करने वाले राज्य प्रायोजित कार्यक्रम पीड़ितों द्वारा अनुभव किए गए आघात को कम करने उनके पुनर्वास और समाज में पुनः एकीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं। दण्ड की जगह न्याय को प्राथमिकता देने वाला यह भारतीय न्याय संहिता समाज और राष्ट्र के लिए वर्तमान परिदृश्य में अति महत्वपूर्ण है। इस विचार गोष्ठी में विद्वान वक्ताओं ने अपने बहुमूल्य विचार इस महत्वपूर्ण और समीचीन विषय पर रखे हैं, मैं आप सभी को कोटिशः बधाई देता हूँ। मुझे बेहद प्रसन्नता है कि सभी वक्ताओं ने गहन अध्ययन करके, मनन करके अपने बहुमूल्य विचार प्रस्तुत किए और 'महत्वपूर्ण सुझाव भी इस विषय पर दिए। मैं पुनः आप सभी का हृदय से धन्यवाद, ज्ञापित करता हूँ। मैं 'जगद्गुरू रामभद्राचार्य विकलांग राज्य विश्वविद्यालय' के संस्थापक एवं आजीवन कुलाधिपति संत शिरोमणि रामभद्राचार्य जी का विशेष रूप से आभारी हूँ, जिनके सानिध्य में इस दो दिवसीय विचार गोष्ठी का गौरवपूर्ण आयोजन हुआ। संस्थान के कुलपति एवं संस्थान के अधिकारियों/ कर्मचारियों को मैं धन्यवाद देता हूँ, जिनके सहयोग से यह विचार गोष्ठी सुव्यवस्थित रूप से पूर्ण हुई, साथ ही मैं जिलाधिकारी चित्रकुट एवं जिला प्रशासन के समस्त अधिकारी / कर्मचारी, पर्यटन विभाग के समस्त अधिकारी/कर्मचारी, आनन्द रिजॉर्ट के व्यवस्थापक के सराहनीय योगदान के लिए धन्यवाद देता हूँ। मैं मीडिया और पत्रकार साथियों को विशेष रूप से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ जिनकी उपस्थिति से यह गोष्ठी सार्थक बन सकी। अन्त में मैं विधान परिषद् के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ जिन्होंने अपने कठिन परिश्रम और लगन से इस आयोजन को सफल और भव्य बनाया। इन्ही शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूँ। माननीय सभापति महोदय ने राष्ट्रीय गान के बाद समापन किये।