पन्डित रामदयाल शास्त्री की कहानी व कवितायें साहित्य समाज में प्रासंगिक

पन्डित रामदयाल शास्त्री की कहानी व कवितायें साहित्य समाज में प्रासंगिक

निष्पक्ष जन अवलोकन । अजय रावत।

 सिरौलीगौसपुर। पं0 रामदयाल शास्त्री 10 वर्ष की अवस्था की लिखना आरंभ किया था कहानी और कविताएं।शुरुआती दिनों में यह काम घर वालों से चोरी चुपके में किया करता था ।हालांकि एक दिन घर वालों ने पकड़ा और हमें खूब डाटा उनका कहना था यह फर्जी चीज मत लिखो। लेकिन मैं चोरी चुपके और घर वालों की नजर से छुप करके अपनी कहानी और कविताएं लिखा करता था। बस हमें यही दुख था की घर वालों को इतना बुरा क्यों लगता है ।कहानी लिखना क्या इतनी बुरी बात है।अब हमें इनके प्रकाशन की चिंता सता रही थी ।मैं बीमार रहता था और मानसिक रूप से गिर चुका था। घर वालों की दुर्भावना के कारण। ऊपर वाली की दृष्ट मुझ पर पड़ी। और 36 साल की उम्र में यानी 26 वर्षों के बाद मेरा एकांकी संग्रह नदी मुहाना तथा कविता संग्रह काव्य वंदना रवीना प्रकाशन नई दिल्ली से 2023 में प्रथम संस्करण प्रकाशित हुआ तब जाकर मुझे थोड़ा सुख वह मन का भय मिटा। की अब मेरी कहानियों को कोई नहीं मिटा सकता है।