Bangladesh में अशांति के चलते बंद ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं आंशिक रूप से बहाल
पांच दिन के बाद बांग्लादेश में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं आंशिक रूप से बहाल कर दी गई हैं। सरकारी नौकरियों में आरक्षण में सुधार की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़पों के चलते इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं। इस हिंसा में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं।
ढाका । बांग्लादेश में पांच दिन के बाद ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं आंशिक रूप से बहाल कर दी गई हैं। मीडिया ने बुधवार को यह खबर दी। सरकारी नौकरियों में आरक्षण में सुधार की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़पों के चलते इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं। इस हिंसा में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। खबरों में कहा गया कि मंगलवार देर शाम सीमित स्तर पर ब्रॉडबैंड सेवा बहाल होनी शुरू हो गई। ढाका ट्रिब्यून की खबर के अनुसार डाक, दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जुनैद अहमद पलक ने चरणबद्ध इंटरनेट बहाली को प्रायोगिक व्यवस्था बताया।
उन्होंने बताया कि इसमें बैंकिंग, वाणिज्य क्षेत्रों, प्रौद्योगिकी कंपनियों, निर्यातकों, ‘आउटसोर्सिंग’ प्रदाताओं और मीडिया संगठनों को प्राथमिकता दी जाएगी तथा शीघ्र ही पूरे देश में पूर्ण इंटरनेट सेवा बहाल कर दी जाएगी। ‘इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन ऑफ बांग्लादेश’ के अध्यक्ष मोहम्मद इमदादुल हक ने कहा कि देशभर में करीब 40 प्रतिशत इंटरनेट कनेक्शन बहाल कर दिए गए हैं और आज ज्यादातर लाइन जोड़ दी जाएंगी। ‘डेली स्टार’ ने उनके हवाले से कहा, ‘‘हम सभी कनेक्शन को बहाल करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि ज्यादातर लोगों को शीघ्र ही इंटरनेट सेवा मिल जाएगी।’’
बांग्लादेश में हाल में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं। ये प्रदर्शनकारी उस विवादास्पद आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे थे जिसमें 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियां 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वालों के रिश्तेदारों के लिए आरक्षित थीं। देशव्यापी हिंसा के चलते इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं। बीडीन्यूज 24 न्यूज पोर्टल ने खबर दी है कि देश में मोबाइल इंटरनेट अब भी बंद है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वालों के रिश्तेदारों के लिए आरक्षित कोटा घटाकर केवल पांच प्रतिशत कर दिया। इस प्रकार, अब 93 प्रतिशत नौकरियां योग्यता आधारित होंगी जबकि शेष दो प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडर और दिव्यांग लोगों के लिए आरक्षित होंगी।