संत का छण व अन्न का कण कभी बर्बाद नहीं करना चहिए -रामरक्षा दास जी

निष्पक्ष जन अवलोकन। विजय सैनी। गोरखपुर। ग्राम बरही में चल रहे श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस में श्री राम रक्षा दास जी ने बताया कि परिक्षित जी महाराज ने जो भी प्रश्न श्री शुकदेव जी से पुछते है। उसमें सारे जगत का कल्याण छुपा है, अपने कल्याण के लिए सभी जीवात्मा को किसी न किसी गुरु के शरण में जाना चाहिए, गुरु ही बैतरणी रुप संसार आप को तार सकते हैं श्री महाराज जी ने बताया कि कभी भी संत मिले तो उनसे भगवान के बारे में पुछिए, कथा पुछिए । संत का छण व अन का कण कभी बर्बाद नहीं करना चाहिए संसार के जीव बिना कर्म किए ही जगत के सभी सुखों को भोगना चाहता है, परंतु ऐसा होता नहीं है। समुद्र मंथन अमृत को पाने के लिए हो रहा था।लेकिन सबसे पहले हलाहल बिष निकला जिससे देव और राक्षस दोनों घबड़ा गए, फिर वहां देवाधिदेव महादेव जी ने आ कर बिष पान किया और जगत का उद्धार किया। देव और राक्षस फिर से समुद्र मंथन करना शुरु किया एक एक करके 13 रत्न निकले और अंत में अमृत निकला श्री महाराज जी ने बताया कि समुद्र मंथन से हम सभी को सिखना चाहिए कि हार मत मानो अपने लक्ष्य पर ध्यान रखो आज नहीं तो कल , सफलता जरूर मिलेगी ।