गॉंव गॉंव मुहल्ले-मुहल्ले घूमें मौनी बाबा मौनियां दिवारी नृत्य की धूम

इस बार तिथियों के समान्जस मे दो दिन खेला गया मौनिया नृत्य

गॉंव गॉंव मुहल्ले-मुहल्ले घूमें मौनी बाबा मौनियां दिवारी नृत्य की धूम

निष्पक्ष जन अवलोकन। अरविंद कुमार पटेल। ललितपुर। विकासखंड महरौनी अंतर्गत ग्राम पंचायत सैदपुर मुड़िया में,बुन्देलखण्ड की सैकड़ों वर्षों पुरानी नृत्य शैली जिसे मौनी मौनिया या फिर सैरा कहा जाता है, बुंदेलखंड अपने आप में बहुत से लोकनृत्य और लोकसंगीतों को संजोए हुए है। इन्हीं में से एक है मौनिया नृत्य। मौनिया नृत्य की खास बात यह भी है कि घूंघरू और डढ़ा (डण्डो) की आबाज मन को हर लेती है, यह नृत्य बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में दीपावली के दूसरे दिन मौन परमा को पुरुषों द्वारा किया जाता है। इसे मोनी परमा भी कहा जाता है। यह यहां की सबसे प्राचीन नृत्य शैली है। इसमें किशोरों द्वारा घेरा बनाकर मोर के पंखों को लेकर  बड़े ही मनमोहक अंदाज में  लकड़ी का डढ़ा (डंडा) लेकर नृत्य किया जाता है। बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों मे मौन होकर मौन परमा के दिन इस नृत्य को करने से इस नृत्य का नाम मौनिया नृत्य रखा गया। साथ ही, मौन व्रत करने वालों को मौनी बाबा भी कहा जाता है। गॉंव के बुजुर्ग बताते हैं कि प्राचीन मान्यता के अनुसार जब श्रीकृष्ण यमुना नदी के किनारे बैठे हुए थे तब उनकी सारी गायें कहीं चली गईं। अपनी गायों को न पाकर भगवान श्रीकृष्ण दु:खी होकर मौन हो गए। इसके बाद भगवान कृष्ण के सभी ग्वाल दोस्त परेशान होने लगे। जब ग्वालों ने सभी गायों को तलाश लिया और उन्हें लेकर लाये, तब कहीं जाकर कृष्ण ने अपना मौन तोड़ा। इसी आधार पर इस परम्परा की शुरुआत हुई। इसीलिए मान्यता के अनुरूप श्रीकृष्ण के भक्त गाँव-गाँव से मौन व्रत रखकर दीपावली के एक दिन बाद मौन परमा के दिन इस नृत्य को करते हुए  गाँवों की परिक्रमा लगाते हैं और मंदिर-मंदिर जाकर भगवान श्रीकृष्णा के दर्शन करते हैं आशीर्वाद लेते है।इसी प्रकार रविवार को मुड़िया श्री श्री 1008 रामलाला सरकार चोरों धाम मन्दिर के  सहित अन्य मंदिरों में  बाहर से आई हुई पर टोलियो के द्वारा होता रहा मोनिया नृत्य , पुरानी किंवदंती के अनुसार मौनियौ के स्वागत के लिए जमींदार,मुखिया प्रतिष्ठित ब्यक्ति मौनियो के स्वागत के लिए आतुर रहते थे, यह परम्परा अभि भी बरकरार है, मुड़िया में मौनी बाबा का जगह-जगह हुआ स्वागत,लोगों ने नारियल प्रसाद भेंट देकर ,देखा मौनी नृत्य,मौनी बाबा नृत्य में आकार्षण का केन्द्र रहे स्वांगधारी,  स्वांगधारियो ने बच्चों का मनमोहा,देर रात तक नाचते रहे मौनी बाबा,