आज दिया जाएगा अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य, डूबते सूर्य की लालिमा के साथ ही घाटों पर उमड़ेगा आस्था का महासैलाब
निष्पक्ष जनवलोकन।
रामेश्वर विश्वकर्मा रुद्रपुरी।
रूद्रपुर, देवरिया । छठ व्रत की शुरुआत नहाए-खाय के साथ होती है । इसके बाद खरना, अस्ताचलगामी अर्घ्य और उषा अर्घ्य की परंपरा निभाई जाती है । आज अस्ताचलगामी अर्घ्य यानी डूबते सूरज को अर्घ्य देने की परंपरा निभाई जाएगी ।
छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक होता है । इसमें पूरे चार दिनों तक व्रत के नियमों का पालन करना पड़ता है और व्रती महिलाएं पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं । छठ व्रत की शुरुआत नहाए-खाय के साथ होती है । इसके बाद खरना, अस्ताचलगामी अर्घ्य और उषा अर्घ्य की परंपरा निभाई जाती है । इस बार आज यानी सात नवम्बर को अस्ताचलगामी अर्घ्य अर्थात डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा । अस्त होते हुए सूर्य की लालिमा के साथ ही क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर आस्था का महासैलाब उमड़ेगा । इसके लिए सेमरौना रीवर फ्रन्ट, दुग्धेश्वर नाथ मंदिर का जलाशय, शीतला माता मंदिर छठ घाट, पक्का घाट आदि क्षेत्र के विभिन्न घाटों को दुल्हन की तरह सजा दिया गया है । जगह-जगह गेट बनाए गए हैं । कहीं-कहीं तो फ़ोटो शूट के लिए सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है ।