मुहर्रम का चांद दिखते ही ज़िक्रे हुसैन की मजालिस और मातम का सिलसिला जोरो से शुरू हुए आम

अहलेबैत (अ) की पैरवी करके ही इंसान मंज़िले मक़सूद तक पंहुच सकता है - मौलाना सैय्यद आक़िब रज़ा

मुहर्रम का चांद दिखते ही ज़िक्रे हुसैन की मजालिस और मातम का सिलसिला जोरो से शुरू हुए आम

निष्पक्ष जन अवलोकन। फैसल सिद्दीकी। फतेहपुर/बाराबंकी । आज़मी-फ़तेहपुर मे मुहर्रम का चांद दिखते ही क़स्बा में अज़ादारी का सिलसिला शुरू हो गया है। इमाम बारगाहों,दरगाहों और घरों मे मौजूद इमाम बारगाहो को हर साल कि तरह इस साल भी सजाया जा चुका है।और फ़र्शे अज़ा बिछाई जा चुकी है। जगह जगह ज़िक्रे हुसैन की मजालिस जारी ओ सारी हैं। बड़ा इमाम बाड़ा में चांद रात की मजलिसे अज़ा को खिताब करते हुए मौलाना सैय्यद आक़िब रज़ा आज़मी आफ आज़मगढ़ ने कहा कि मोमीनीन को क़ुर्आन को तर्जुमे और तफ़सीर के साथ ठहर ठहर पर पढ़ना चाहिए-अज़ादारी क़ुर्आन से साबित है,जिस तरह 114 सूरों और 30 पारों पर मुश्तमिल क़ुर्आन क़यामत तक बाक़ी रहेगा ठीक उसी तरह ये अज़ादारी भी ता क़यामत जारी रहेगी,ये कहना गलत है कि अज़ादारी हमारी वजह से बाक़ी है बल्कि सच तो ये है कि हम अज़ादारी की वजह से क़ायम हैं.अज़ादारी अल्लाह का वादा है जो उसने अपने हबीब (सल) से किया है,इमाम हुसैन की मुसीबत को याद करके रोना और मातम करना सुन्नते रसूल है।अज़ादारी का मुहाफ़िज़ ख़ुद अल्लाह है। मुहर्रम हमको अख़ूवत प्यार मुहब्बत और इत्तेहाद सिखाता है। इमाम हुसैन ने अपनी शहादत देकर दीने इस्लाम को जान और शादाबी बख्शी है।हर मुसलमान की शरई ज़िम्मेदारी है कि इमाम हुसैन का ज़िक्र करे। अल्लाह ने अज़ादारी में बेशुमार बरकात रखी हैं। मसायब में अमीनाबाद लखनऊ की क़दीमी और तारीखी पड़ाइन मस्जिद के इमाम सैय्यद आक़िब रज़ा आज़मी ने इमाम हुसैन की 3 साल की बेटी सुग़रा के मसायब पढ़े जिसे सुनकर मोमीनीन की आंखे अश्कबार हो गई। मजलिस के इख्तेताम पर मुल्को क़ौम की फलाह ओ वहबूद के लिए दुआ कराई गई। फतेहपुर के सट्टी बाजार स्थिति बड़ा इमाम बाड़ा ट्रस्ट के मुत्तवल्ली और समाजी कारकुन सैय्यद हसन इब्राहीम काज़मी ने सभी मोमीनीन का शुक्रिया अदा किया।