देश के ज्ञान को स्वदेशानुकूल एवं प्राचीन ऋषियों-मनीषियों के ज्ञान को युगानुकूल बनाने की जरूरत : सुभाष जी

देश के ज्ञान को स्वदेशानुकूल एवं प्राचीन ऋषियों-मनीषियों के ज्ञान को युगानुकूल बनाने की जरूरत : सुभाष जी

मिर्जापुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष जी का शुक्रवार, 16 अगस्त को यहां आगमन हुआ। मिर्जापुर में लगभग 5 वर्षों तक संघ के विभाग प्रचारक के रूप कार्य करने के दौरान वे यहां के बौद्धिक वर्ग से अत्यधिक जुड़े रहे। यहां आगमन पर संघ कार्यालय में तो वे लोगों से मिले ही, साथ ही बहुतों से पुराने संबन्धों के तहत घर-घर जाकर मिले भी।
  नगर विधायक रत्नाकर मिश्र ने उन्हें मां विन्ध्यवासिनी का पूर्वाह्न दर्शन-पूजन कराया।
   इसी क्रम में वे नगर के तिवराने टोला स्थित गुडमार्निंग स्कूल में भी आए, जहां उनका बौद्धिक एवं वैचारिक स्वागत किया गया।
   इस मौके पर उन्होंने भारतीय संस्कृति के उत्थान के लिए किए जा रहे कार्यक्रमों में जन- सहभागिता पर बल दिया। सुभाष जी ने रामचरित मानस की अनेक चौपाइयों एवं दोहों का धाराप्रवाह वाचन करते हुए कहा कि ऐसे समय में जबकि भारतीय संस्कृति पर जबर्दस्त आक्रमण हो रहा था, देश तथा समाज में अंधकार छाया हुआ था, तब गोस्वामी जी ने मानस की शक्ति से भारतीय समाज को सशक्त किया।
   सुभाष जी ने कहा कि भारतीय ज्ञान के उत्थान के लिए ही नालंदा विश्वविद्यालय को नया आयाम दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यूपी के प्रचार प्रमुख के नाते वे हिंदू संस्कृति की विराटता पर लिखे गए ग्रँथों का पुनः अध्ययन एवं प्रकाशन पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने मिर्जापुर जिले से नवजागरण काल के हिंदी साहित्य के भारतेंदुयुगीन साहित्यकारों का विवरण लिया। विवरण के क्रम में उन्होंने रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्विद्यालय के कुलपति डॉ शिशिर पांडेय तथा भारतीय संस्कृति के अध्येता यूपी पीडब्लूडी के निर्माण निगम, लखनऊ के मुख्य अभियंता कन्हैया झा से दूरभाष पर संवाद किया। इसी क्रम में उन्होंने लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार एवं काशी के मूर्धन्य पत्रकार शिरोमणि बाबू विष्णु पराड़कर के पौत्र  आलोक पराड़कर, 'हिंद भास्कर' के प्रधान संपादक डॉ सत्येंद्र कुमार त्रिपाठी एवं जनहित जागरण के सम्पादक के के सिंह से भी टेलीफोनिक बातचीत की तथा अभियान से जुड़े रहने की अपेक्षा की। यहां उनका स्वागत नितिन अवस्थी, अनिल मिश्र एवं सुनील द्विवेदी, विभाव पांडेय ने किया। भारतीय ज्ञान के आधुनिक व्याख्याओं की अपेक्षा सलिल पांडेय ने भी की।
◆सलिल पांडेय, मिर्जापुर