छठ मईया की गीत 'कांचही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये... से गूँजायमान हुआ डगर व घाट

अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर की सुख-समृद्धि की कामना

छठ मईया की गीत 'कांचही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये... से गूँजायमान हुआ डगर व घाट

निष्पक्ष जनवलोकन। रामेश्वर विश्वकर्मा रुद्रपुरी।

रूद्रपुर, देवरिया । सूर्यषष्ठी डाला छठ के अवसर पर गुरूवार की शाम क्षेत्र के विभिन्न तालाबों और नदियों के तट पर पहुंच कर महिलाओं ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को नमन करते हुए अर्घ्य दिया। पुत्रों के दीर्घायु होने के साथ ही परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना के कारण पूजा स्थलों पर मेले जैसा माहौल रहा। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शहर, कस्बों व ग्रामीण अंचलों में जगह-जगह भगवान सूर्य की आराधना की गई। डाला छठ को सूर्य षष्ठी का पर्व भी कहा जाता है। पर्व के तीसरे दिन गुरूवार की शाम ढलते ही शहर, गांव और कस्बों में पूजित तालाब, नदियों व नहर तट पर महिलाएं पूजा की थाल सजाकर पहुंच गईं।

महिलाएं घर से निकलीं तो रास्ते में तथा घाट पर छठ मैय्या के गीत 'महिमा बा राऊर अपार हे छठी मईया...., उ जे कांचही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए..., छठी मइया आई ना दुअरिया.., कोपी-कोपी बोले ले सूरज देव.., हाजीपुर के केलवा महंग भइले.., उगी-उगी सूरज देव.., डारी-डारी चहके सुगनवा.., समूह में गाती रहीं । तथा ओम भाष्करायनम: का जप करते हुए भगवान सूर्य को नमन किया और घुटने पर पानी में खड़े होकर जल का तर्पण किया। इसके बाद बांस के सूप में रखे फल, सब्जी और गन्ने का अर्पण कर भगवान सूर्य से अक्षय सुहाग के साथ पुत्र के दीर्घायु होने की कामना की। सुख समृद्धि का भी वरदान मांगा। कस्बे के सेमरौना रीवर फ्रन्ट, दुग्धेश्वर नाथ मन्दिर स्थित पोखरे, शीतला माता मंदिर सहित क्षेत्र के विभिन्न नदियों व तालाबों पर भगवान सूर्य की आराधना के लिए महिलाओं की भीड़ उमड़ती रही। इस दौरान हर जगह मेले सा माहौल रहा। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जगह-जगह पुलिस के जवान भी मुस्तैद रहे।