श्रीराम-लक्ष्मण के सौंदर्य पर मोहित हुई शूपर्णखा सीता ने लांघी लक्ष्मण रेखा , लंकेश रावण ने किया हरण

कलमकारों को किया सम्मानित

श्रीराम-लक्ष्मण के सौंदर्य पर मोहित हुई शूपर्णखा सीता ने लांघी लक्ष्मण रेखा , लंकेश रावण ने किया हरण

निष्पक्ष जन अवलोकन। अरविंद कुमार पटेल। ललितपुर। (पाली) नगर में चल रही रामलीला में शूपर्णखा के नाक कटना , सीता हरण , गिद्धराज जटायू एवं रावण के बीच युद्ध का बड़ा ही शानदार मंचन किया गया । सीता की खोज में श्रीराम हे- सीते हे-सीते कहते पुकारते जब जंगल में भटकते है तो दर्शकों की भी आंखे भर आती है। लीला में अपने भाई रावण का विनाश का संकल्प लिए शूपनखा पंचवटी में विराजमान प्रभु श्री राम और लक्ष्मण के पास पहुंचती और उनके सौंदर्य पर मोहित हो जाती है । दोनों भाइयों के पास बारी बारी से गंधर्व विवाह का प्रस्ताव रखती है । इस बात से नाराज होकर लक्ष्मण ने सूर्पनखा की नाक काट दी। नाक कटते ही अप्सरा सी दिखने वाली शूपनखा विकराल राक्षसी का रूप धारण कर लेती है । और क्रोधित होकर बदला लेने के लिये खर, दूषण को सेना सहित पंचवटी आश्रम ले आती है । प्रभु राम सभी राक्षसों का संहार कर देते हैं । अगले दृश्य में क्रोध की ज्वाला लिए शूपनखा अपने भाई रावण के दरबार में पहुंच वनवासी राजकुमारों से बदला लेने के लिए उकसा देती है । अगले मंचन में रावण अपनी बहिन का हाल देख सीता को लंका लाने का वचन देता है । इसके लिए वह अपने मामा मारीच की सहायता लेने पहुंच जाता है । मामा रावण को बहुत समझता है लेकिन अपने अभिमान में चूर मामा की रावण एक नही मानता । रावण की जिद पर मारीच मायाजाल से सोने का मृग का रुप धारण कर पंचवटी पहुंचता है । उसे देख सीता का मन उसकी मृगछाला पाने के लिए श्री राम से कहती है । श्री राम मायावी मृग को मार देते है । मायावी मृग हे लक्ष्मण की पुकार लगता है , मायावी की आवाज सुन सीता का मन व्यथित हो जाता है और लक्ष्मण को राम की सहायता के लिए भेज देती हैं । लक्ष्मण रेखा खीच देने के लक्ष्मण जी राम की तलाश में निकल जाते है । इधर रावण साधु के वेश में पहुंचकर माता सीता का हरण कर ले जाता। राम - लक्ष्मण पंचवटी में सीता को न पाकर व्यथित हो जाते और जंगलों में पुकारते "" हे खग हे मृग हे मधुकर श्रेणी तुम देखी सीता मृग नयनी ..रास्ते में घायल पड़ा गिद्ध राज जटायु सीता का रावण द्वारा हरण किए जाने की बात कहता है और गिद्धराज भगवान की गोद में अपना दम तोड देता है । देर रात तक चली रामलीला में सीता की खोज में निकले श्रीराम की मुलाकात हनुमानजी से होती है । ऐसे में भक्त और भगवान के बीच प्रेम को देख उपस्थितजन जय श्रीराम , जय हनुमान के उद्घोष से वातावरण को गुंजित कर देते । इसके बाद श्रीराम एवं सुग्रीव मित्रता का मंचन किया गया। इस मौके पर व्यासगद्दी से जितेन्द्र पाठकर , दिनेश चौरसिया मंच संचालन लक्ष्मण पाठकर , राजकुमार चौरसिया ने किया। रामलीला आयोजन समिति के आजाद खां मंसूरी , मनोज चौरसिया , देवकी पटेल ने कलमकारों को शॉल व श्रीफल देकर सम्मानित किया । इस मौके पर हरिओम चौरसिया , प्रियंक जैन , हरगोविंद कुशवाहा , जगदीश राय , पुष्पेंद्र साहू मौजूद रहे ।