भारत का बाजू, अल्लूरी सीताराम राजू" की संघर्ष गाथा कार्यक्रम का आयोजन

भारत का बाजू, अल्लूरी सीताराम राजू" की संघर्ष गाथा कार्यक्रम का आयोजन

निष्पक्ष जन अवलोकन। योगेश जायसवाल। लखनऊ। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था जनता टेक्निकल एजुकेशनल सोसायटी, लखनऊ के तत्वाधान में देशभक्ति का गुणगान जन जन तक गाने हेतु ही रंगमंच पर पहली बार वरिष्ठ नौटंकी विशेषज्ञ व नाट्य निर्देशक अमित दीक्षित 'रामजी' द्वारा संवाद लेखन, परिकल्पना, संगीत व निर्देशन में देश के महान क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू की संघर्ष गाथा को नौटंकी शैली पर आधारित प्रस्तुति भारत का बाजू, अल्लूरी सीताराम राजू का मंचन सांस्कृतिक दल के 60 कलाकारों द्वारा संत गाडगे प्रेक्षागृह, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में भव्यता से किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि माननीय नीरज कुमार सिंह, चेयरमैन, फिक्की यूपी चैप्टर, ब्रज बहादुर , बीजेपी प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अनुराग मिश्रा "अन्नू" पार्षद, चौक। डॉ.अनिल रस्तोगी, वरिष्ठ रंगकर्मी ने संयुक्त रूप दीप प्रज्वलन किया, इस अवसर पर संगीतमय नौटंकी–नाट्य प्रस्तुति में देशभक्ति की धारा को अलग ढंग से परिभाषित व प्रस्तुत किया गया है। इस प्रस्तुति की कहानी प्रमुख पात्र अल्लूरी सीताराम राजू के बचपन से प्रारंभ होकर आदिवासी समाज के लिए संघर्ष से प्रारंभ होती है। नट–नटी द्वारा मनोरंजन के साथ उनकी कथा का वर्णन संगीतमय ढंग से प्रस्तुत किया गया। बारह वर्ष की अवस्था में उन्होंने गृह त्याग हिमालय की ओर प्रस्थान किया व सन्यास धर्म स्वीकार कर अपना सम्पूर्ण जीवन समाज हित में समर्पित कर दिया। हिमालय पर्वत जाकर उन्होंने जो ज्योतिष और आयुर्वेद का ज्ञान अर्जित किया, गांव आकर उस ज्ञान से ही समाज को लाभान्वित किया। उस समय अग्रेजों का बोलबाला था, हर तरफ उनका ही शासन था, पर कुछ क्रांतिकारी बहादुर इनके खिलाफ आंदोलन में कूद पड़े। पूज्य अल्लुरी, महात्मा गांधी जी की अहिंसावादी नीति से अत्यंत प्रभावित थे परंतु मद्रास वन अधिनियम जैसे काले कानून को लागू करने वाली अंग्रेजी सरकार के रुख को देखकर उनका अहिंसा वादी नीति से जल्द ही मोह भंग हो गया। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया और असलहे, गोले बारूद के भंडार लूटकर, थाने बर्बाद कर ब्रिटिश सरकार की नींद हराम कर दी। अंग्रेज भी उनसे परेशान होकर उन्हें कैद में डालने के लिए तरह तरह के यत्न करने लगे। दूसरी तरफ क्रांतिकारी बिरैयादौरा भी अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की जंग लड़ने के लिए अपनी अलग सेना तैयार कर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर रहे थे। जल, जंगल और जमीन के संघर्ष ने दोनो बहादुर लड़ाकों को एक कर दिया और इस तरह उनकी शक्ति दोगुनी हो गई। रंपा घाटी को आजाद कराने के लिए दोनो संघर्ष करते हैं और अंत में अपने साथियों सहित कुर्बान हो जाते हैं। और इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक महान क्षत्रीय देशभक्त अपना सम्पूर्ण जीवन आदिवासियों को समर्पित कर उनके लिए ही संघर्ष करता है। देशभक्ति की सही परिभाषा क्या है, अल्लूरी और बिरैयादौर जैसे चमत्कारी चरित्र द्वारा महान शहीदों का देशभक्ति के त्याग, बलिदान को दर्शाया गया है, उन्होंने हमारे लिए अपने जीवन को कुर्बान ही नहीं किया बल्कि हवन में स्वयं को होम कर दिया। लोगों को अल्लुरी का चरित्र प्रेरित करता है कि वो भी समाज के लिए प्रेरणा बनें और समाज को सत्कर्मों पर चलने की सीख दें। हमारे देश के बहादुर, वीर देशभक्तों ने अपने प्राणों का बलिदान और परिवार व खुशियों का त्याग कर जो लौ जलाई थी, उसकी ही रोशनी से आज देश जगमगा रहा है। हमें उनका त्याग नहीं भूलना चाहिए। उनकी कथा को जान जन तक प्रेषित करके हम देशभक्त को स्थापित कर सकते हैं। जिन भावनाओं से प्रेरित होकर उन महान बहादुर सिपाहियों ने अपने प्राणों की आहुति दी, उसके सपनों को व्यर्थ नहीं होने देना है। उनके त्याग, परिश्रम की गाथा को जन-जन तक पहुंचाना ही इस नौटंकी नाट्य प्रस्तुति का प्रमुख उद्देश्य है। इस कार्यक्रम में समाज के हर वर्ग के बौद्धिक, सामाजिक व राजनैतिक गणमान्य अतिथिगण उपस्थित रहे। लगभग 60 कलाकारों की भव्य नौटंकी प्रस्तुति ने अपने आप में एक अनूठी मिसाल कायम की। अन्त में संस्था की अध्यक्ष महोदया ने आए हुए, मुख्य अतिथि सहित दर्शकों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।