सेहत के दुश्मन ई-सिगरेट को लेकर सख्त हुए नियम, इसका कश शरीर पर इस तरह करता है वार

मई में, मंत्रालय ने अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था। बाद में जुलाई में मंत्रालय ने ई-सिगरेट बेचने वाली 15 वेबसाइट को ऐसे उत्पादों का विज्ञापन और बिक्री बंद करने को कहा था। 

सेहत के दुश्मन ई-सिगरेट को लेकर सख्त हुए नियम, इसका कश शरीर पर इस तरह करता है वार


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ किया है कि ई-सिगरेट और इसी तरह के उपकरणों को किसी भी रूप या मात्रा में रखना इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (पीईसीए) 2019 का उल्लंघन है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार यह कानून सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में और लोगों को नुकसान से बचाने के लिए बनाया गया है। इससे पहले भी सरकार ई-सिगरेट बेचने वाली 15 वेबसाइट को  ऐसे उत्पादों का विज्ञापन और बिक्री बंद करने को कह चुकी है।

अब लगेगा भारी जुर्माना

मंत्रालय ने कहा कि पीईसीए में ई-सिगरेट के व्यक्तिगत उपयोग पर प्रतिबंध का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन पर रोक लगाने के लिए कानून बनाया गया है। इसलिए देश के भीतर किसी भी मात्रा में ई-सिगरेट रखना संभव नहीं है। प्रतिबंध में ई-हुक्का और इसी तरह के उपकरणों पर रोक शामिल है। दरअसल भारी जुर्माने और कारावास के प्रावधान बावजूद ई-सिगरेट तंबाकू विक्रेताओं, जनरल स्टोर और ऑनलाइन मंचों सहित विभिन्न स्रोतों में व्यापक रूप से उपलब्ध होने की सूचना है। 

स्वाश्स्थ्य मंत्रालय ने शुरु किया ऑनलाइन पोर्टल

स्वास्थ्य मंत्रालय ने पीईसीए के तहत उल्लंघनों के बारे में सूचित करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू किया है। युवाओं के बीच ई-सिगरेट के इस्तेमाल में व्यापक बढ़ोतरी को लेकर सरकार ने भी चिंता जताई है। मई में, मंत्रालय ने अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था। बाद में जुलाई में मंत्रालय ने ई-सिगरेट बेचने वाली 15 वेबसाइट को ऐसे उत्पादों का विज्ञापन और बिक्री बंद करने को कहा था। 

कैसे काम करती है ई-सिगरेट

ई-सिगरेट एक ऐसी डिवाइस है जो बैटरी चार्ज करने पर काम करती है। इसमें निकोटिन और हानिकारक रसायन तरल रूप में एक रिफिल में होते हैं। जिन्हें डिवाइस में फिट किया जाता है। इसके चलते जब कश लगाते हैं तो हीटिंग डिवाइस इसे गर्म करके भाप में बदल देती है। इसलिए इसे स्मोकिंग नहीं वेपिंग कहते हैं। इसका सीधे तौर पर छाती और मस्तिष्क पर  बुरा असर पड़ता है। अगर आपके बच्चे के कपड़े, उनके मुंह और उनकी सांसो से तंबाकू जैसी गंध आती है। अगर बच्चे बार-बार बाहर जाने के लिए बहाने बनाने लगे, या वो वॉशरूम में अपना ज्यादा समय बिताने लगे तब आप ये समझ सकते हैं कि शायद आपके बच्चे को स्मोकिंग की आदत लग चुकी है। स्मोकिंग करने वाले लोगों के हाथ और नाखून पीले पड़ने लगते हैं, उनकी होंठ नीले और काले होने लगते हैं।
युवाओं को लग रही इसकी लत
समीक्षा में पाया गया कि सीमित सबूत ई-सिगरेट व्यक्तियों को धूम्रपान रोकने में सहायता करते हैं। लेकिन यह इस बात के सबूतों से ज्यादा मजबूत नहीं है कि ई-सिगरेट का उपयोग करने से धूम्रपान छोड़ चुके लोगों को फिर से तंबाकू के सेवन की लत लग सकती है। ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर के आंकड़ों से पता चलता है कि अपने जीवनकाल में ई-सिगरेट का उपयोग करने की सबसे अधिक संभावना 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में हैं। 
-ई-सिगरेट में निकोटीन और दूसरे हानिकारक केमिकल्स का घोल होता है। निकोटीन अपने आप में ऐसा नशीला पदार्थ है जिसकी लत लग जाती है।
- इसके सेवन से हृदय प्रणाली पर प्रभाव पड़ सकता है, हृदय गति बढ़ सकती है, रक्तचाप और हृदय रोग का खतरा हो सकता है। 
-गर्भवती महिलाओं के लिए वेपिंग बहुत खतरनाक है इससे उनके गर्भस्थ शिशु पर बुरा असर पड़ता है। 
- छाटे बच्चों के आसपास इसे पीने से उनके  दिमागी विकास पर असर पड़ता है।
-ई-सिगरेट एरोसोल में हानिकारक पदार्थ होते हैं, ऐसे में फेफड़ों की समस्या पैदा हो सकती है।