नोएडा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भावनात्मक अपील और अधिक मुआवजे के वादे के बाद नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए किसानों से भूमि अधिग्रहण को फिर रफ्तार मिलती दिख रही है। इससे पहले कुछ किसानों ने परियोजना के लिए जमीन देने की स्वीकृति नहीं दी थी। इस ‘ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के पहले चरण का निर्माण पश्चिमी यूपी के गौतम बुद्ध नगर जिले के जेवर इलाके में किया जा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली से करीब 75 किलोमीटर दूर बनने वाले इस विमानपत्तन को निर्माण के बाद दुनिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होने का दावा किया जा रहा है जिसे बनाने में अनुमानित 29,650 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
अधिकारियों के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में इस साल की शुरुआत में तब अवरोध पैदा हो गया था जब छह गांवों के कुछ किसानों ने मुआवजे के एवज में अपनी जमीन देने की सहमति नहीं दी थी। अधिकारियों ने बताया कि विमानपत्तन के दूसरे चरण के विकास के लिए छह गांवों में जमीन का अधिग्रहण किया जाना है जिनमें रनहेरा, कुरैब, दयानतपुर, करौली बांगर, मुढरह और बीरमपुर शामिल हैं।
‘भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 के अनुसार भूमि अधिग्रहण के लिए कम से कम 70 प्रतिशत जमीन मालिकों की सहमति जरूरी है। कानून में सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण करने के लिए मुआवजे की दर, पुनर्वास और पुनर्स्थापन सुविधाओं के लिए भी प्रावधान हैं।जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में 14 अक्टूबर को करीब 200 किसानों ने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने इस मुलाकात में किसानों से कहा, ‘‘हम आपसे सौदेबाजी नहीं करना चाहते।
उन्होंने मुआवजा बढ़ाकर 3,400 रुपये प्रति वर्ग मीटर (ब्याज समेत) देने का वादा किया। आदित्यनाथ ने कहा कि जेवर की जनता उनके ‘परिवार की तरहश् है। उन्होंने कहा, ‘‘एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विकास में आपके योगदान को आपकी पीढ़ियां देखेंगी। उन्होंने कहा था, ‘‘अगर जेवर में रहने वाले लोगों को क्षेत्र के विकास के फायदे नहीं मिलते तो इसका कोई मतलब नहीं है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया से जुड़े लोगों के अनुसार दूसरे चरण के लिए जमीन अधिग्रहण की रफ्तार पिछले करीब 10 महीने से धीमी पड़ी हुई थी, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों और स्थानीय विधायक की इस सप्ताह अनेक बैठकें होने से इस काम में रफ्तार आई है। जेवर के विधायक सिंह ने कहा कि, ‘‘भूमि अधिग्रहण के लिए सहमति अब 60 प्रतिशत हो गयी है और दिवाली से पहले न्यूनतम आवश्यक 70 प्रतिशत किसानों की मंजूरी मिलने की अपेक्षा है।
भूमि अधिग्रहण के पहले चरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक इन दिनों प्रशासनिक अधिकारियों के साथ अपने विधानसभा क्षेत्र के इन सभी छह गांवों का दौरा कर रहे हैं। उप जिलाधिकारी (जेवर) अभय प्रताप सिंह ने कहा कि दूसरे चरण में कुल 1,365 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है जिसमें से करीब 1,185 हेक्टेयर निजी क्षेत्र के लोगों (किसानों) की है और बाकी पहले से राज्य सरकार के स्वामित्व वाली है। उन्होंने कहा, ‘‘कुल 7,164 भूमि मालिक हैं और कम से कम 5,015 भूमि स्वामियों की सहमति भूमि अधिग्रहण के लिए जरूरी है। अभी तक हमें करीब 4,300 किसानों की स्वीकृति मिल गई है। मुआवजा राशि सरकार के नियमों के अनुसार अप्रैल 2023 में सीधे भूमि मालिकों के बैंक खातों में हस्तांतरित कर दी जाएगी। उप जिलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन को मुख्यमंत्री की ओर से निर्देश हैं कि, ग्रामीणों को हर तरह का समर्थन और सहयोग दिया जाए तथा सौहार्दपूर्ण तरीके से सहमति ली जाए।
सिंह 2018 से भूमि अधिग्रहण के पहले चरण के लिए बातचीत करने वाले प्रशासनिक दल में शामिल थे जिसकी अगुवाई तत्कालीन जिलाधिकारी ब्रजेश नारायण सिंह ने की थी। जिलाधिकारी और उप जिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह दोनों का 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान तबादला कर दिया गया था। उप जिलाधिकारी सिंह को सरकार जेवर के एसडीएम के रूप में वापस लाई है।