पत्थर और कांस्य की पूजा से , मोक्ष प्राप्ति संभव नहीं : जगजीवन साहेब
अल्ला अलख एके अहै ,दूजा नाही कोय •••••••••
सिरौलीगौसपुर बाराबंकी ।
यह जनपद आदिकाल से ही अपनी वक्ष स्थली में अपने गौरवशाली अतीत को संजोए हुए हैं जहां पर अनेकों सूफी संतों व सिद्ध महात्माओं ने जन्म लेकर के संपूर्ण मानव जाति को सांप्रदायिक सद्भावना का संदेश दिया ।
इन सिद्ध महात्माओं में जो रब है वही राम है का संदेश देने वाले अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त देवा के सूफी संत हाजी वारिस अली शाह कस्बा बदोसराय के हजरत मलामत शाह बाबा हेतमापुर के बाबा नारायन दास श्री कोटवा धाम के सतनामी संप्रदाय के संस्थापक समर्थ साईं जगजीवन साहेब ने सांप्रदायिक सदभावना की अलख जगाई ।
आज से करीब साढे़ 300 वर्ष पहले जब देश में सबसे क्रूरतम और अत्याचारी औरंगजेब का शासन था लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए तरह-तरह की यातनाएं दी जाती थी समाज में छुआछूत पाखंड सती प्रथा बाल विवाह मूर्ति पूजा तथा अन्य कर्मों काण्डो प्रचलन अपनी चरम सीमा पर था ऐसी विषम परिस्थितियों में ग्राम सरदहा की पवित्र माटी में ठाकुर गंगाराम के यहां विक्रमी संवत 1727 माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को आपका अवतार हुआ आप की माता का नाम केवला देवी था जो चंदेल वंशी छत्रिय कहलाते थे 18 वर्ष की अवस्था में आपका विवाह मोतिन देवी के साथ-साथ जिससे आपको चार पुत्र और एक पुत्री की प्राप्ति हुई चार पुत्र स्वामी जी के समय में ही स्वर्गवासी हो गए आप के पुत्रों में जलाली दास उच्चकोटि के संत हुए हैं करीब 38 वर्ष की अवस्था में गोंडा जिले के गुड़सरी नामक ग्राम में विश्वेश्वर पुरी से आपने दीक्षा लिया तत्पश्चात 4 पावा 14 गद्दी 33 महंत 36 सुमिरनी सहित आपने सतनामी संप्रदाय की नीव डाली जिसमें सभी वर्ग के लोगों को स्थान मिला जीवन पर्यंत सांप्रदायिक सद्भावना का संदेश देते करीब 90 वर्ष की अवस्था में विक्रमी सम्वत 1817 में आप ब्रह्मलीन हो गए ।
जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर पूरब रामनगर टिकैतनगर रोड पर कोटवा धाम में जगजीवन साहब की तपोस्थली स्थित है जहां पर माघ मास की शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि को व कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को विशाल मेला लगता है जिसमें देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आ करके मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं लोगों के द्वारा सच्चे मन से मांगी गई मनोकामनाएं यहां पर अवश्य पूर्ण होती हैं ऐसा लोगों का विश्वास है ।
गृहस्थ जीवन में रह कर ईश्वर की भक्ति किए जाने पर बल देते हुए आपने कहा –
हर जोतै हरि का भजै , सत्य का दाना खाय ।
जगजीवनदास सांची कहै। सो नर बैकुंठै जाय ।।
एक ईश्वर की भक्ति पर बल देते हुए आपने कहा –
अल्ला अलख एकै अहै , दूजा नाही कोय ।
जगजीवन जो दूजा कहै दोजख परखिए सोय ।।
सभी धर्मों की कौमी एकता पर बल देते आपने सही कहा –
हाड़ चाम का पीजरा , तामे कियों अचार ।
एक बरन मा सब अहैं , ब्राह्मण तुरक चमान ।।
कलयुग में ब्राह्मणों के द्वारा मांस मांस भक्षण का विरोध करते हुए आपने संदेश दिया –
पोथी पढि पढि जग मुवा , पंडित भये प्रवीन ।
नेम अचार षट कर्म करि , भक्षै मासु अरु मीन ।
कलयुग केरे ब्रहाना ,सूखे हाड़ चबाहि ।
पै लागत सुख मानही , राम कहत मरि जाहि ।।
इस प्रकार से स्वामी जी का जीवन दर्शन मानव जीवन के मध्य में आज भी प्रासंगिक बना हुआ है स्वामी जी का विचार था कि पत्थर और कांस्य की पूजा से मोक्ष प्राप्ति संभव नहीं है ईश्वर की सत्य रूप में की गई भक्ति उसके मोक्ष का कारण बन सकती है ।
बॉक्स
जन्म सप्तमी समारोह 19 फरवरी को
सतनामी संप्रदाय के संस्थापक समर्थ साईं जगजीवन साहब की तपोस्थली कोटवा धाम में उनका जन्म सप्तमी समारोह आगामी 19 फरवरी को मनाया जाएगा ।
जिसमें गोंडा बहराइच लखीमपुर सीतापुर मुजफ्फरनगर छपरा बिहार उड़ीसा राजस्थान सहारनपुर जैसे विभिन्न प्रांतों व जनपदों से श्रद्धालु पहुंचकर स्वामी जी के दरबार में माथा टेक कर संत महात्माओं के अमृतमय उपदेशों को सुन कर के अपने जीवन को कृतार्थ करेंगे ।
अजय रावत अज्जू
No Comments Yet
You must log in to post a comment.