जन्म जन्मांतर के पापो को धुलने का एक मात्र मार्ग है भगवान की भक्ति
कोटवाधाम(बाराबंकी) ।जन्म जन्मांतर के पापो को धुलने का एक मात्र मार्ग है भगवान की भक्ति और कथा श्रवण।राम और कृष्ण की सच्ची भक्ति से ही मनुष्य पापों से मुक्त हो सकता है। जिस प्रकार मैले कपड़ों को धुलने के लिए साबुन आवश्यक है उसी प्रकार मानव के पापों को धुलने के लिए भगवान की भक्ति परम आवश्यक होती है।यह बाते आचार्य रामशंकर मिश्र ने श्री मद भागवत कथा के चौथे दिन सोमवार को कही।
तासीपुर में चल रही सात दिवसीय संगीतमयी कथा के चौथे दिन उन्होंने कृष्ण जन्म की कथा का सुंदर वर्णन किया।श्री आचार्य ने आगे कहा कि जब जब धरती का भर हरण करने के लिए देवता धरती पर अवतारित हुए है सिर्फ माताओं की वजह से ही।मताए स्वयं को सुधार लें तो देश बदल सकता है ।किन्तु आज के पाश्चात्य युग में धर्म कर्म और भगवान का सुमिरन भजन समाप्त होता जा रहा है।उन्होंने कथा को आगे बढ़ाते हुए राजा बलि की कथा को सुनते हुए कहा कि राजा बलि बहुत ही दानी राजा थे।भगवान विष्णु ने बलि के यज्ञ में आकर तीन पग धरती का दान मांगा।जिस पर बलि ने बिना कुछ सोचे दान देने का संकल्प ले लिया।दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने बहुत मना किया कितु राजा बलि नहीं माने। बामन रूप में आए भगवान ने तीन पग धरती मे तीनों लोको को नाप लिया।इस प्रकार तीनों लोको के प्राप्त होते ही देवता प्रसन्न हो गए।श्री आचार्य ने कथा को रोचक बनाने के लिए सुंदर भजनों के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।श्री आचार्य ने कृष्ण जन्म की कथा का बहुत ही सुन्दर ढंग से वर्णन किया।जब धरती पर कंस का अत्याचार चरम पर था।चारो ओर उसके आतंक से त्राहि त्राहि मचा था।तब भगवान ने देवकी के गर्भ से जन्म लिया।जन्म होते ही पूरा पंडाल घंटा शंख आदि की ध्वनि से गूंज उठा।
No Comments Yet
You must log in to post a comment.