क्षेत्राधिकारी यातायात की अध्यक्षता में पुलिस कार्यालय स्थित राघव प्रेक्षागार में साइबर जागरुकता के सम्बन्ध में बैठक आयोजित की गई।

निष्पक्ष जन अवलोकन। । शिवसंपत करवरिया। चित्रकूट ।पुलिस अधीक्षक चित्रकूट अरुण कुमार सिंह के निर्देशन में क्षेत्राधिकारी यातायात फहद अली की अध्यक्षता में पुलिस कार्यालय स्थित राघव प्रेक्षागार में जनपद के समस्त थानों में साइबर हेल्प डेस्क पर नियुक्त पुलिस कर्मियों के साथ साइबर अपराध के प्रति जागरुकता के सम्बन्ध में बैठक आयोजित की गई। जिसमें प्रभारी साइबर सेल निरीक्षक निशिकांत राय, आरक्षी प्रशांत कुमार व आरक्षी सर्वेश कुमार द्वारा बैठक में उपस्थित समस्त पुलिस कर्मियों को बताया गया कि आधुनिक युग में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ साइबर अपराधों में भी वृद्धि हो रही है इनमें से एक नवीन तथा तेजी से बढ़ता अपराध है डिजिटल अरेस्ट, जो हाल के वर्षों में भारत में मुख्य रूप से चर्चा का विषय बन गया है। डिजिटल अरेस्ट एक ऐसी धोखाधड़ी है जिसमें साइबर अपराधी स्वयं को पुलिस, सी०बी०आई०, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), एन०सी०बी० या अन्य सरकारी अधिकारियों के रूप में ऑनलाइन प्रस्तुत करके लोगों को डराता हैं और उनसे रूपयों की ठगी करता है। इस साइबर अपराध में स्कैमर्स लोगों को पैसे ट्रान्सफर करने या संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी साझा करने के लिए नकली गिरफ्तारी वारंट, मनगढ़ंत सबूत और मनोवैज्ञानिक दबाव (मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स तस्करी या अन्य गंभीर अपराध) बनाकर उसे "डिजिटल रूप से गिरफ्तार" किये जाने का भय दिखाता है। डिजिटल अरेस्ट अपराध की कार्य पद्धतिः 1. साइबर अपराधी पुलिस, सी०बी०आई०, 1.एन०सी०बी०, एयरपोर्ट अधिकारी या साइबर क्राइम इकाइयों से होने का दावा करते हुए फोन कॉल, व्हाट्सएप मैसेज या ईमेल के माध्यम से संपर्क करते हैं। 2. वे पीड़ित पर मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध लेनदेन करने जैसे तस्करी (Drugs) अपराधों में सम्मिलित होने का आरोप लगाते हैं। 3. साइबर अपराधी पीड़ितों को यह विश्वास दिलाने के लिए आधिकारिक दिखने वाले दस्तावेज़, स्क्रीनशॉट या यहाँ तक कि डीपफेक वीडियो भी भेजते हैं। 4. फर्जी थाने/कोर्ट आदि के Fake Getup का प्रयोग करते हैं। तत्पश्चात वे जुर्माना या "जमानत राशि" का भुगतान न किए जाने पर तुरंत कानूनी कार्यवाही, जिसमें गिरफ़्तारी भी शामिल है, की धमकी देते हैं। साथ ही बैठक में उपस्थित सभी पुलिसकर्मियो को बताया गया कि किसी भी प्रकार कि शिकायत जिसका सम्बन्ध साइबर अपराध से उसमें तत्काल कार्यवाही कराना सुनिश्चित करें। थानो पर आने वाले सभी शिकायतकर्ताओं को साइबर अपराध के प्रति जागरुक करें उन्हे बचाव के फ्रॉड व उससे बचाव के तरीकों से अवगत कराए। फ्रॉड के तरीका वर्तमान में जालसाजों द्वारा साइबर अटैक कर आम नागरिकों के गूगल अकाउंट/जी-मेल आईडी हैक किये जा रहे हैं। हैकर द्वारा जी-मेल आईडी हैक करने के बाद पीड़ित का मोबाइल नंबर और रिकवरी ईमेल आईडी चेंज कर और अन्य फर्जी मोबाइल नंबर व ईमेल आईडी को अपडेट किया जा रहा है। ऐसा कर देने से पीड़ित अपने अकाउंट का पासवर्ड रीसेट नहीं कर पा रहे हैं। अकाउंट हैक हो जाने से पीड़ित को अपने मोबाइल हैंडसेट में सेव कॉन्टेक्ट्स दिखना बंद हो जाता है, क्योंकि पीड़ित अपने जी-मेल अकाउंट का एक्सेस खो चुका होता है। जीमेल आईडी हैक हो जाने की पश्चात हैकर द्वारा पीड़ित के गूगल ड्राइव पर सेव फोटो, वीडियो कॉन्टेक्ट्स आदि का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही पीड़ित के गूगल अकाउंट को अन्यत्र वेबसाइट पर रजिस्टर कर अपराध कार्य करने हेतु भी उपयोग में लाया जा सकता है। यह सावधानी रखनी है साइबर सेल प्रभारी चित्रकूट निरीक्षक निशिकांत राय एवं उनकी टीम ने बताया कि अपने अकाउंट को सुरक्षित रखने के लिए अनजान नंबरों से आए हुए कॉल पर कॉलर द्वारा बताई गई बातों पर विश्वास ना करें, मोबाइल फोन में कोई भी संदिग्ध एप्लीकेशन या एपीके फाइल डाउनलोड ना करें व ही अपनी ओटीपी को अनजाने व्यक्ति से शेयर करे। ई-मेल टेक्स्ट मैसेज/व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि के मैसेज में आयी नीले रंग की लिंक (यूआरएल) पर क्लिक न करें समस्त ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के अकाउंट (जैसे गूगल, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि) पर टू-स्टेप वेरीफिकेशन ऑप्शन हमेशा इनेबल रखें। अपने गूगल अकाउंट के सिक्योरिटी कोट्स को किसी के साथ शेयर ना करें। गूगल पासवर्ड कभी भी अपना मोबाइल नंबर या अपनी जन्म दिनांक ना रखें पासवर्ड हमेशा अल्फान्यूमैरिक ही रखें। यदि आपके साथ किसी भी प्रकार का साइबर फ्रॉड/अपराध घटित होता हो जाता है तो सबसे पहले साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर साइबर पर अपनी शिकायत रजिस्टर करें।